मशरूम ने बदला मधु की जिंदगी
जागरण संवाददाता, बिहारशरीफ : मशरूम ने एक के बाद एक कई महिलाओं की जिंदगी बदल डाली है। मशरूम की खेती करने के पूर्व हिलसा में पली-बढ़ी मधु पटेल आज राजगीर में बुद्धा स्पान लैब की संचालिका बन गई है। वर्ष 2009-10 में मशरूम की खेती के प्रति उसकी ललक इस कदर बढ़ी की उसने स्पान मशरूम बीज की आए दिन हो रहे कमी को दूर करने के लिए स्पान लैब बनाने को ठान ली। उसकी लगनशीलता को देखते हुए उस समय के तत्कालीन डीएचओ देवनारायण महतो ने उसको लैब बनाने के लिए प्रोत्साहित किया और उसको उद्यान विभाग की तरफ से लैब 15 लाख रुपये में से साढ़े सात लाख रुपये अनुदान के रूप में दिलाया। बतौर मधु की मानें तो वह मूलरूप से हिलसा की रहने वाली है। बचपन में उसके पिता गुजर गए थे। मां ने काफी संघर्ष कर उसको हाईस्कूल की शिक्षा दिलाई थी। लेकिन उसको आगे पढ़ने की ललक थी। उसी दौरान जब हिलसा में मशरूम के बारे में कोई जानता नहीं था तो मशरूम पैदा कर उसको बेचकर आगे की पढ़ाई चालू रखी। वह वर्ष 2011 में स्पान की कमी होते देखकर स्पान लैब खोलने की इच्छा डीएचओ देव नारायण महतो एवं उद्यान विभाग के शंकर कुमार से जताई। उनके प्रेरणा से पहले हरियाणा के सोनीपत, उसके बाद हिमाचल के सोलन तथा बाद में उत्तरांचल के पंथनगर से स्पान बनाने की प्रशिक्षण ली। उसकी मानें तो साढ़े सात लाख उसे अनुदान के रूप से उद्यान विभाग से मिला, शेष पैसे राजगीर के पीएनबी से ऋण लेकर स्पान लैब किराएं के मकान में शुरू की। आज उसके लैब में तैयार स्पान मशरूम बीज नालंदा जिले के आपूर्ति करने के अलावा सूबे के दर्जनों जिलों को सप्लाई कर रही है। उसने बताया कि बिजली बेहतर होने के कारण वह अपना कारोबार राजगीर से शुरू की थी। उसका कहना है कि उसे समय-समय पर जिला कृषि विभाग तथा आत्मा नालंदा से सहयोग मिलता रहा है। मशरूम के कारण उसके दोनों बच्चे राजगीर के सबसे बेहतर शिक्षण संस्थान में शिक्षा ले रहे हैं। वह मशरूम के बदौलत इंटर के बाद स्नातक अब स्नाकोत्तर की शिक्षा ले रही है। उसका कहना है कि आगे वह डाक्टरेट की डिग्री लेकर महिलाओं को आगे भी मशरूम की खेती करने के लिए प्रेरित करती रहेगी। ताकि वह अपनी जिंदगी को बेहतर बनाते हुए नारी सशक्तिकरण की मिसाल पेश कर सके।