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मरने के बाद दो गज कफन भी नहीं

मुजफ्फरपुर। कहते हैं मरने के बाद यदि दो गज कफन भी नसीब न हो तो मृतक के लिए इससे बड़ा दुर्भाग्य

By Edited By: Published: Thu, 14 Jul 2016 02:33 AM (IST)Updated: Thu, 14 Jul 2016 02:33 AM (IST)
मरने के बाद दो गज कफन भी नहीं

मुजफ्फरपुर। कहते हैं मरने के बाद यदि दो गज कफन भी नसीब न हो तो मृतक के लिए इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है। इसी बदनसीबी की शिकार बनी आदि गोपालपुर पंचायत की कनहारा रघु गांव निवासी पियरीया देवी। महादलित परिवार की इस महिला की मंगलवार को मौत हो गई। दाह संस्कार के लिए राशि नहीं मिलने के कारण उसका शव घटों पड़ा रहा। हालांकि बाद में पंचायत की मुखिया अनीता देवी द्वंारा तीन हजार रुपए देने पर मृतका को मुक्ति मिली। सरकार की कबीर अंत्येष्टि योजना यहां बेमानी है।

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ग्रामीणों ने बताया कि सरकार की यह योजना प्रशासनिक अधिकारियों की उपेक्षा के चलते दम तोड़ती नजर आ रही है। यही हाल प्रखंड के 20 पंचायतों का भी है जहां राशि की बात तो दूर, भरोसा दिलाने वाले पंचायत सचिव भी गायब रहते हैं। घटना के दिन भी यही हुआ। पियरीया की मौत के बाद पंचायत सचिव को मामले से अवगत कराया गया लेकिन वह नहीं पहुंचे। मुखिया अनीता देवी ने बताया कि पंचायत सचिव पंचायत में नहीं रहते। ऐसे में विकास कार्यो पर भी बंट्टा लग रहा है। अभी तक वह अपनी जेब से वोलहलपुर गांव के ललित दास, मोहनपुर के गणेश राय व संतोष राय सहित छह लोगों को दाह संस्कार के लिए राशि दे चुकी हैं। सर्फुद्दीनपुर पंचायत में मुखिया शंभू चौधरी ने दर्जनों मृतकों के परिजनों को कबीर अंत्येष्टि योजना की राशि दी है। मैदापुर के मुखिया राजन कुमार सिंह उर्फ राजू सिंह ने भी करीब छह लोगों को अंतिम संस्कार के लिए राशि दी। इसी प्रकार मझौली में चार, बिशनपुर जगदीश में तीन, बलथी रसूलपुर में पांच, आदिगोपालपुर में छह, नरमा में पांच, कफेन चौधरी में सात, रामपुर जयपाल में चार, पटियासा में तीन, गरहां में चार, कर्णपुर दक्षिणी में छह, कर्णपुर उत्तरी में चार, लोहसरी में पांच, भूताने में छह, सहिला रामपुर में पांच, उनसर में छह, देवगण में सात, नरकटिया में तीन व झपहां पंचायत में चार लोगों को वर्तमान मुखियों ने अपनी-अपनी जेब से राशि उपलब्ध कराई है।


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