Move to Jagran APP

भू-अर्जन घोटाले की जांच अब निगरानी की टीम करेगी, पुलिस अधीक्षक ने विभाग को लिखा पत्र

तेरह पर केस पाया गया है सत्य। मोतिहारी स्थित महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय एवं रक्सौल में भारत-नेपाल सीमा पथ परियोजना के तहत भूमि अधिग्रहण के बाद हुई थी अवैध निकासी।

By Ajit KumarEdited By: Published: Mon, 22 Apr 2019 08:49 AM (IST)Updated: Mon, 22 Apr 2019 08:49 AM (IST)
भू-अर्जन घोटाले की जांच अब निगरानी की टीम करेगी, पुलिस अधीक्षक ने विभाग को लिखा पत्र
भू-अर्जन घोटाले की जांच अब निगरानी की टीम करेगी, पुलिस अधीक्षक ने विभाग को लिखा पत्र

पूर्वी चंपारण, जेएनएन। जिले में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया के दौरान भू-अर्जन कार्यालय से 6 करोड़ 22 लाख 68 हजार 800 रुपये के फर्जी भुगतान मामले की जांच अब निगरानी विभाग करेगी। पुलिस अधीक्षक उपेंद्र कुमार शर्मा ने इस मामले में निगरानी विभाग को पत्र लिखा है। इस केस के मास्टर माइंड जयकिशुन तिवारी समेत तीन आरोपितों पर पुलिस ने कोर्ट में आरोप पत्र समर्पित कर दिया है। जिन लोगों पर आरोप पत्र समर्पित किया गया है उनमें तिवारी के अलावा कर्मचारी उमेश सिंह व भू-अर्जन के पूर्व लिपिक शारदा प्रसाद भी शामिल हैं। तीनों अभी जेल में हैं।

loksabha election banner

   जांच के दौरान मोतिहारी अंचल के तत्कालीन अंचलाघिकारी चौघरी बंसत सिंह पर भी आरोप सत्य पाया गया है। अब उन से भी पूछताछ की जाएगी। वहीं, जेल में बंद जयकिशुन तिवारी के रिश्तेदार गुलशन तिवारी पर अभी आरोप पत्र नहीं सौंपा गया है। गुलशन को रिमांड पर लेने के लिए अर्जी दी गई है। पुलिस अधीक्षक उपेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि मामले में कुल 13 लोग दोषी पाए गए हैं। इनके खिलाफ आरोप-पत्र सौंपा गया है। उनकी अवैध संपत्ति को जब्त करने की कवायद की जा रही है।

इन लोगों की अवैध संपत्ति का तैयार किया जा रहा ब्योरा

पुलिस के अनुसार जिन लोगों की अवैध संपत्ति जब्त की जानी है, उनमें जयकिशुन के अलावा तत्कालीन अंचलाघिकारी सहित कई और लोग शामिल हैं। इन लोगों में जयकिशुन तिवारी, गुलशन तिवारी, अंजू देवी, शारदा प्रसाद सिंह व उमेश सिंह के नाम शामिल हैं। इन सभी की संपत्ति का ब्योरा तैयार किया जा रहा है। इसके बाद इनकी आमदनी और संपत्ति का मिलान किया जाएगा। यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद सभी संबंधित लोगों के खिलाफ संपत्ति जब्ती के लिए प्रस्ताव भेजा जाएगा।

यह है मामला

मोतिहारी स्थित महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय और रक्सौल स्थित भारत-नेपाल सीमा पथ परियोजना के लिए हुए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया के दौरान फर्जी तरीके से भुगतान लेनेवाले सक्रिय रहे। इस दौरान फर्जी आधार कार्ड, एलपीसी, मतदाता पहचान पत्र आदि बनाकर अलग-अलग लोगों के नाम पर करीब 6 करोड़ 22 लाख 68 हजार 800 रुपये की फर्जी निकासी कर ली गई थी। जिला भू-अर्जन पदाधिकारी के पास 19 नवंबर 2018 को मोतिहारी प्रखंड के बनकट निवासी सुकदेव साह ने महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के लिए अधिग्रहित 90 डिसमिल जमीन के बदले 3 करोड़ 5 लाख 28 हजार के भुगतान का दावा किया।

  इसके बाद जांच शुरू और 25 नवंबर 2018 को जिला भू-अर्जन पदाधिकारी ने राशि का उठाव करनेवाले फर्जी बनकट निवासी सुकदेव साह, हरसिद्धि थानाक्षेत्र के बड़ा हरपुर निवासी जयकिशुन तिवारी और रक्सौल निवासी अरविंद सिंह के खिलाफ नगर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई। इसके बाद दूसरी प्राथमिकी 14 दिसंबर 2018 को जिला भू-अर्जन पदाधिकारी ने तीन अन्य लोगों के नाम पर हुए 3.17 करोड़ 40 हजार 800 रुपये के फर्जीवाड़े में सात लोगों के खिलाफ दर्ज कराई। दोनों मामलों की जांच पुलिस लगातार जांच कर रही है। मामले में अब तक चार लोग जेल में हैं।

इन लोगों पर केस पाया गया सत्य

एसपी ने बताया है कि अब तक 13 लोगों पर केस सत्य पाया गया है। जिसमें तत्कालीन अंचलाघिकारी चौघरी बंसत सिंह, नाजीर सुघीर कुमार सिंह, अमीन जटाशंकर सिंह, उमेश सिंह, शारदा प्रसाद सिंह, जयकिशुन तिवारी, अरविन्द सिंह, प्रमोद मिश्रा, मिकू तिवारी, राजेन्द्र साह, ललन पटेल एवं गुलशन तिवारी के नाम शामिल हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.