सर्वाधिक प्रखर व लोकप्रिय विधा है नाटक
नाटक जिंदगी को समूह के नजरिए से देखने, उसे आत्मसात् करने व समाज के सामने प्रस्तुत करने की सर्वाधिक प्रखर व लोकप्रिय विधा है।
मुजफ्फरपुर । नाटक जिंदगी को समूह के नजरिए से देखने, उसे आत्मसात् करने व समाज के सामने प्रस्तुत करने की सर्वाधिक प्रखर व लोकप्रिय विधा है। यह अभिव्यक्त घटनाओं के समानांतर एक प्रश्न व एक विचार प्रत्यक्ष प्रस्तुत करता है। ये बातें सोमवार को संरचना आर्ट थियेटर की ओर से विश्व रंगमंच दिवस व संस्था के 30वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में संस्था कार्यालय में आयोजित विचार गोष्ठी में नाट्य समीक्षक डॉ.शेखर शंकर मिश्र ने कहीं। कहा कि कहानी जीवन को अभिव्यक्त करती है, किन्तु वह जीवंत नहीं हो सकती। मगर नाटक उसे एक मंच व एक जीवन देता है। 'वर्तमान रंगमंच की चुनौतियां' विषय पर बोलते हुए चित्रकार डॉ.विमल विश्वास ने कहा कि मुजफ्फरपुर में रंगमंच का इतिहास गौरवशाली रहा है, मगर वर्तमान चुनौतियों से भरा है। सरकारी एवं सामाजिक उदासीनता रंगमंच के लिए घातक है। अध्यक्षता एस.प्रकाश व आए अतिथियों का स्वागत अजीत कुमार अग्रवाल ने किया। संचालन संस्था सचिव सह रंगकर्मी सुधीर कुमार व धन्यवाद ज्ञापन कार्यकारी अध्यक्ष आरके उप्पल ने किया। रंगकर्मियों ने संस्था के तीस वर्ष के रंगमंचीय यात्रा का जश्न केक काटकर मनाया। मौके पर डॉ.ललित किशोर, नवसंचेतन सचिव प्रमोद आजाद, कायाकल्प के सचिव संजीत किशोर, 'द वे' के निदेशक सौरभ कौशिक, डॉ.गोपाल फलक, डॉ.संजय कुमार, डॉ.सुबोध कुमार, डॉ.राकेश कुमार, निशि वर्मा, वीर प्रकाश ठाकुर, अनिल कुमार, मुकेश कुमार, वीरेन्द्र किशोर, रवि रत्नम्, हरि नारायण गुप्ता, भरत कुमार आदि रंगकर्मियों ने भी विचार रखे।