टीबी से न करें खिलवाड़, कराएं पूरा इलाज
अधिकतर लोग जानते हैं कि टीबी एक संक्रामक बीमारी है, जो फेफड़े के साथ शरीर के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित करता है।
मुजफ्फरपुर। अधिकतर लोग जानते हैं कि टीबी एक संक्रामक बीमारी है, जो फेफड़े के साथ शरीर के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित करता है। आज देश में रोजाना टीबी से एक हजार लोगों की जानें जा रही हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है दवाओं का कोर्स अधूरा छोड़ना।
ये बातें शुक्रवार को विश्व टीबी दिवस पर जिला यक्ष्मा केंद्र में आयोजित सेमिनार के दौरान सामने आई। चिकित्सकों ने कहा कि प्राय: देखा जा रहा है कि टीबी के अधिकतर मरीज दवाओं का कोर्स पूरा नहीं करते, जिसके कारण यदि टीबी शरीर पर दोबारा हमला करता है तो ज्यादा खतरनाक हो जाता है।
अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. सुधा श्रीवास्तव ने बताया कि टीबी उन्मूलन की दिशा में विभाग पूरी तरह सचेष्ट है। जिले में ऐसे 24 केंद्र खोले गए हैं, जहां मुफ्त बलगम जांच की सुविधा है और टीबी मरीजों को दवाएं दी जाती हैं।
जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. अमिताभ कुमार सिन्हा ने बताया कि 15 फरवरी से अब टीबी मरीजों के लिए दवा की नई खुराक डेली रेजिमेन शुरू की गई है, जिससे मरीजों की सेहत में सुधार हो रही है।
मौके पर डॉ. हरेंद्र आलोक, सदर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ. नरेश कुमार चौधरी, ब्लड बैंक के डॉ. कन्हैया शर्मा, प्रयोगशाला पर्यवेक्षक मनोज कुमार, डीपीएम बीपी वर्मा व सदर अस्पताल प्रबंधक प्रवीण कुमार सहित कई एनसीसी कैडेट्स, जिले के सभी एसटीएस व एसटीएलएस और जिला यक्ष्मा केंद्र के सभी कर्मचारी व शहरी क्षेत्र के सभी ट्रीटमेंट सपोर्ट्स मौजूद रहे। इसके पूर्व प्रभातफेरी निकाली गई। एसीएमओ व जिला संचारी रोग पदाधिकारी ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यक्ष्मा केंद्र से निकलने के बाद प्रभातफेरी अस्पताल रोड, समाहरणालय, डीएम आवास, इमलीचट्टी व स्टेशन रोड होते हुए वापस लौटी।
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इन बिंदुओं पर रहा फोकस
- दो हफ्ते से ज्यादा समय से खांसी हो, तो डॉक्टर से संपर्क करें।
- यदि आपके आसपास कोई बहुत जोर से खांस रहा है, तो उससे दूरी बनाए रखें।
- अगर आप किसी बीमार व्यक्ति से मिलने जा रहे हैं, तो अपने हाथों को जरूर धो लें।
- प्रचुर मात्रा में पौष्टिक तत्व वाले आहार लें, क्योंकि ये हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने में मददगार साबित होते हैं।