जंक्शन की सफाई में राशि व समय बर्बाद
जंक्शन पर सफाई के नाम पर सिर्फ खानापूरी की जा रही है।
मुजफ्फरपुर। जंक्शन पर सफाई के नाम पर सिर्फ खानापूरी की जा रही है। हजारों खर्च के बाद भी जगह-जगह गंदगी दिखती है। कुछ इसी तरह की रिपोर्ट केंद्र सरकार के स्वच्छ भारत अभियान की जांच में आई है। जंक्शन की सफाई पर प्रत्येक दिन 55 हजार रुपये खर्च किए जाते हैं। लेकिन, यह पैसे की बर्बादी के अलावा कुछ नहीं है। जिसके पास सफाई का ठेका है, वह ठेकेदार घोर लापरवाही बरत रहा है। हाल यह है कि जंक्शन रेलवे बोर्ड के मानक पर खरा नहीं उतर रहा है। 18 जुलाई 2016 को केंद्र सरकार के स्वच्छ भारत अभियान के तहत चीफ कॉम रीजनल नोडल ऑफिसर अर्चना श्रीवास्तव ने साफ-सफाई का जायजा लिया था। इन्होंने पिछले साल दिसंबर में पूर्व मध्य रेलवे को रिपोर्ट भेजी। इसमें कहा है कि जंक्शन पर एक हेल्थ इंस्पेक्टर की तैनाती है। जबकि, रेलवे बोर्ड के नियमानुसार चार हेल्थ इंस्पेक्टर की तैनाती होनी चाहिए। सफाई के लिए सीसी कैमरा लगाना था, लेकिन नहीं लगा। इसके साथ ही रिटाय¨रग रूम के कई कमरों के बाथरूम में गंदगी का अंबार है। चादर भी गंदा। महिला व पुरुष प्रतीक्षालय व वीआइपी रूम में गंदगी फैली रहती है। एसी प्रतीक्षालय कूल नहीं होता है। जंक्शन की सफाई के लिए सुबह की शिफ्ट में 77, शाम की शिफ्ट में 49 रात की शिफ्ट में 29 सफाई कर्मचारी होने चाहिए। लेकिन, इतनी तैनाती नहीं होती है। साथ ही जंक्शन पर विभागीय सफाई कर्मी की तैनाती नहीं है। टीटीई गंदगी फैलाने वाले यात्री को दंडित कर सकते हैं। लेकिन, नहीं हो रहा है। स्टेशन पर स्टील के 70 व प्लास्टिक के 40 कूड़ेदान हैं। मशीन से सफाई नहीं होती है। पूर्व मध्य रेलवे के अधिकारी का कहना है कि रिपोर्ट के अनुसार मानक पर उतारा जा रहा है।