इंसानों को तकलीफ देने वालों से खुश नहीं होता है अल्लाह
इंसानों को दुख देने वालों से अल्लाह खुश नहीं होता। जब कोई किसी को तकलीफ देता है तो अल्लाह उसे तब तक माफ नहीं करता, जब तक जिसे तकलीफ दी गई है वो माफ नहीं कर दे।
मुजफ्फरपुर। इंसानों को दुख देने वालों से अल्लाह खुश नहीं होता। जब कोई किसी को तकलीफ देता है तो अल्लाह उसे तब तक माफ नहीं करता, जब तक जिसे तकलीफ दी गई है वो माफ नहीं कर दे। ये बातें नीतीश्वर कॉलेज के प्राचार्य डा. प्रो. सैयद अबूजर कमालुद्दीन ने कहीं। वो गुरुवार को इस्लामपुर स्थित हजरत अली एकेडमी में जमाअत-ए-इस्लामी ¨हद की ओर से आयोजित 'इस्तकबालिया हुज्जाज-ए-कराम' को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अल्लाह के हक की अदायगी तब ही पूरी हो सकती, जब अल्लाह के बंदों का हक अदा की जाए। उन्होंने कहा कि हज से लौटने के बाद लाजिम है कि जिस एकता का सबक सीखा है उसे यहां भी कायम रखे। मोहब्बत एवं भाईचारे का सबूत दे। उन्होंने कहा कि इस्लाम किसी पर उसकी ताकत से अधिक बोझ नहीं डालता। अल्लाह ने जिन्हें दौलत दी है, उनपर हज व जकात फर्ज है।
खादीमुल हुज्जाज हाजी रफीक नूर ने कहा कि हज के अरकान को सही तरीके से पूरा करने के लिए प्रशिक्षण काफी जरूरी है। हाजी अफ्फान इस्लाही, डॉ. शौकत, मौलाना जाकिर अहमद ने हज के सफर का अनुभव बयान किया। इरफान आलम ने कहा कि इस मोकद्दस सफर की खुशी को बयान नहीं किया जा सकता। हाजी गुनाहों से ऐसे पाक हो जाते हैं जैसे बच्चा जन्म लेने के समय पाक होता है। मंच संचालन जिलाध्यक्ष हश्शाम तारिक ने किया। तिलक मैदान मस्जिद के इमाम मौलाना रिजवान ने दुआ कराई।