पॉक्सो एक्ट की जानकारी से लैस होंगे बच्चे
बच्चों को लैंगिक शोषण से बचाने के लिए बाल संरक्षण आयोग पुख्ता व्यवस्था कर रहा।
मुजफ्फरपुर । बच्चों को लैंगिक शोषण से बचाने के लिए बाल संरक्षण आयोग पुख्ता व्यवस्था कर रहा। इसके लिए बच्चों को पॉक्सो एक्ट (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ओफेंस) की बारिकियों की जानकारी दी जाएगी। ताकि, इस तरह के मामले प्रकाश में आ सकें। राज्य बाल संरक्षण आयोग के सचिव ने इस मामले में पुलिस को इस तरह के मामले संज्ञान में लाने को कहा है।
राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष स्तुति कक्कड़ ने इस मामले में पत्र जारी कर कहा था कि बच्चों को पॉक्सो एक्ट के बारे मे जागरूक किया जाए। इस तरह के मामले अगर दबाए गए हैं तो उसे प्रकाश में लाया जाए। खासकर स्कूली बच्चे। इसके अलावा इन मामलों में पुलिस की ओर से क्या कार्रवाई की गई इसकी भी जानकारी मांगी थी। इसके आलोक में पुलिस महानिरीक्षक, अपराध अनुसंधान कमजोर वर्ग को जागरुकता अभियान चलाने को कहा।
यह है पॉस्को एक्ट
पास्को एक्ट 2012 के तहत नाबालिग बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामलों में कार्रवाई की जाती है। यह एक्ट बच्चों को सेक्सुअल ह्रासमेंट, सेक्सुअल असॉल्ट और पोर्नोग्राफी जैसे गंभीर अपराधों से सुरक्षा प्रदान करता है।
इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई है। इस अधिनियम की धारा 4 के तहत वो मामले शामिल किए जाते हैं, जिनमें बच्चे के साथ दुष्कर्म या कुकर्म किया गया हो। इसमें सात साल सजा से लेकर उम्रकैद और अर्थदंड भी लगाया जा सकता है।
धारा 6 के अधीन वे मामले लाए जाते हैं जिनमें बच्चों को दुष्कर्म या कुकर्म के बाद गम्भीर चोट पहुंचाई गई हो। इसमें दस साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है और साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है। अधिनियम की धारा 7 और 8 के तहत वो मामले पंजीकृत किए जाते हैं जिनमें बच्चों के गुप्ताग से छेडछाड़ की जाती है। इसके धारा के आरोपियों पर दोष सिद्ध हो जाने पर पाच से सात साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है।
धारा तीन के तहत पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट को भी परिभाषित किया गया है। इसमें बच्चे के शरीर के साथ किसी भी तरह की हरकत करने वाले शख्स को कड़ी सजा का प्रावधान है। 18 साल से कम उम्र के बच्चों से किसी भी तरह का यौन व्यवहार इस कानून के दायरे में आ जाता है।