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वृद्ध को वेदना, फिर भी नहीं किसी को संवेदना

चेहरे पर झुर्रियां और असीम पीड़ा। हाथ में आवेदन का बंडल और खाने के लिए एक पोटली में सत्तू।

By JagranEdited By: Published: Wed, 22 Mar 2017 01:51 AM (IST)Updated: Wed, 22 Mar 2017 01:51 AM (IST)
वृद्ध को वेदना, फिर भी नहीं किसी को संवेदना
वृद्ध को वेदना, फिर भी नहीं किसी को संवेदना

मुजफ्फरपुर। चेहरे पर झुर्रियां और असीम पीड़ा। हाथ में आवेदन का बंडल और खाने के लिए एक पोटली में सत्तू। 65 साल के वैद्यनाथ प्रसाद करीब चार साल से अक्सर समाहरणालय परिसर स्थित एक पेड़ के नीचे इस हाल में दिख जाते हैं। कोई उनको कुरेद देता है तो आंसुओं की धारा बह निकलती है। यह निर्दयी प्रशासनिक व्यवस्था की कहानी बयां करने के लिए काफी होती है।

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बताते हैं कि बुढ़ापे का सहारा जवान बेटे की हत्या कर दी गई। पुलिस ने जांच के बाद इसे सड़क दुर्घटना करार दिया। पहले उन्होंने हत्यारोपियों को सजा दिलाने के लिए प्रयास किया। इस पर सुनवाई नहीं हुई तो सड़क दुर्घटना में मौत के मुआवजे के लिए चक्कर काटना शुरू कर दिया। वरीय अधिकारियों से लेकर मुख्यमंत्री तक आवेदन दे चुके हैं, लेकिन इंसाफ कहीं नहीं मिला।

यह है कहानी : अहियापुर थाना क्षेत्र के मझौलिया निवासी श्रीकांत उर्फ पप्पू की झपहां इलाके में मोबाइल की दुकान थी। वह मार्च 2013 में अनुपम, राकेश और राजीव के साथ ऑटो से मेला देखने दरभंगा गया। बताया गया कि लौटते समय रात में ऑटो पलटने से श्रीकांत उसके नीचे दब गया। एक आरोपी ने मृतक के परिजन को उसके घायल होने की सूचना दी। सुबह में घर वाले पहुंचे तो बताया गया कि उसकी मौत हो गई है। मृतक के भाई मनोहर ने हत्या की प्राथमिकी दर्ज कराई। इसमें राकेश कुमार, अनुपम कुमार और राजीव कुमार को आरोपी बनाया था।

मामले की जांच शुरू की गई। करीब दो वर्ष बाद नगर डीएसपी और सिटी एसपी की सुपरविजन रिपोर्ट में हत्या को सड़क दुर्घटना बताया गया। पिता वैद्यनाथ प्रसाद का कहना है कि ऑटो पलटने के बाद बेटा ठीक था। लेकिन आरोपियों ने मिलकर उसकी हत्या कर दी और 50 हजार रुपये लूट लिए थे। बेटे के पैर पर चाकू और गले पर रस्सी के निशान मिले थे। बावजूद सुपरविजन रिपोर्ट में इसका जिक्र नहीं है। पुलिस ने मामले को दबा दिया।

लगाते रहे गुहार, नहीं मिला न्याय

रिपोर्ट के बाद पिता न्याय के लिए वरीय पुलिस अधिकारियों के यहां दौड़ते रहे, लेकिन सुपरविजन रिपोर्ट में कोई बदलाव नहीं किया गया। उन्होंने बताया कि कई बार अधिकारियों के गेट पर से उन्हें धक्का देकर बाहर भी निकाला गया, लेकिन आस नहीं छोड़ी। वे प्रतिदिन पुलिस अफसर से मिलने पहुंच ही जाते हैं। आवेदन के साथ खाने के लिए घर से सत्तू भी लेकर आते हैं। समाहरणालय परिसर स्थित एक पेड़ के नीचे बैठकर इंसाफ की रट लगाते रहते हैं। इस बीच भूख लगने पर पेड़ के नीचे ही सत्तू खाकर इंतजार करने लगते हैं।

मुआवजा की लगाई गुहार : सभी जगह से निराश होने के बाद थके पिता को जब इंसाफ की आस कहीं से नहीं दिखी तो उन्होंने पुलिस रिपोर्ट पर ही संतुष्टि जताते हुए कागज आगे बढ़ाने की मांग की, ताकि कुछ सड़क दुर्घटना का चार लाख मुआवजा मिल सके। इसके उन्होंने दौड़-भाग शुरू कर दी। इस दौरान उनकी पत्नी कांति देवी ने भी वरीय पुलिस अधिकारी से गुहार लगाई। इसके बाद सिटी एसपी ने इस संबंध में आदेश दिया। इस आदेश को लगभग दो माह से ज्यादा हो गए, लेकिन अहियापुर थाने की लापरवाही के कारण पीड़ित परिवार को अब तक मुआवजा नहीं मिला है। अहियापुर थाने में ही आदेश की कॉपी दबी हुई है।

सिटी एसपी ने दिया आदेश

सिटी एसपी की तरफ से दिए गए आदेश में कहा गया है कि ऑटो और चालक का सत्यापन कर उसकी गिरफ्तारी की जाए। साथ ही ऑटो को जब्त किया जाए। पीड़ित परिवार को मुआवजा का प्रस्ताव समर्पित कराएं। कार्रवाई से कार्यालय को अवगत कराएं। यह आदेश महज थाने की फाइल की शोभा बन गया है।


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