जब कुएं का ठंडा पानी देख बापू ने कहा था- यहां स्नान करेंगे
मुजफ्फरपुर के लंगट सिंह कॉलेज परिसर में स्थित कुंआ आज भी महात्मा गांधी की याद दिलाता है। यहां बापू ने कुंए को देखकर कहा था कि मैं इसके ठंडे पानी से स्नान करूंगा।
मुजफ्फरपुर [सुनील राज]। समय के पहिए ने घूमते-घूमते सौ बरस पूरे कर लिए। बिहार में बापू की यादें एक बार फिर ताजा होने लगीं हैं। बुधवार को दोपहर के तीन बजने को थे। लंगट सिंह कॉलेज के कॉमन रूम में कॉलेज के कुछ प्रोफेसर एक नाटक के पूर्वाभ्यास में जुटे थे।
गांधी पर नाटक का मंचन 11 अप्रैल को होना है। कॉलेज में इतिहास के पूर्व विभागध्यक्ष डॉ. भोजनंदन प्रसाद सिंह गांधी के किरदार में पूरी रौ में नजर आ रहे थे। करीब 20 से 25 मिनट के बाद गांधी के किरदार से बाहर आने पर भोजनंदन प्रसाद सिंह ने इतिहास के पन्ने खोलने शुरू किए।
कहने लगे मैं तो तब था नहीं, पर मेरे पिताजी या दूसरे रिश्तेदारों के साथ तमाम लोग जो बताते हैं वह मैं आपको बता रहा हूं। उन्होंने कहा, ‘वह 10 अप्रैल,1917 का दिन था। शाम को गांधी बाबा के आने की सूचना इलाके के लोगों को मिली थी। गांधी जी के साथ कॉलेज के प्रोफेसर आचार्य कृपलानी और शहर के दूसरे कई गणमान्य लोग भी थे।
गांधी जी का विचार था कि लंगट सिंह कॉलेज में ही ठहर जाएंगे। गांधी जी कहें और उनकी बात टाल दी जाए ऐसा तो संभव नहीं था। आचार्य कृपलानी ने अपने एक सहयोगी प्रोफेसर मलकानी साहब को इस बात की जानकारी दी कि गांधी जी इसी कॉलेज में रात बिताएंगे। आननफानन में गांधी जी के ठहरने के इंतजाम यहां कर दिए गए।’
उनके मुताबिक रात बीती तो सुबह कृपलानी साहब गांधी जी के पास पहुंच गए और उनसे आग्रह किया कि वे हॉस्टल में और देर तक न रुकें। यह सरकारी संस्थान है और आपको यहां समस्या हो सकती है। गांधी जी ने कहा, ठीक है मैं कहीं और रह लूंगा पर जाने के पहले आपके कॉलेज के मैदान पर जो कुआं है वहां स्नान करके ही आगे निकलूंगा।
आचार्य कृपलानी और मलकानी साहब ने गांधी जी के नहाने की व्यवस्था की। गांधी जी ने स्वयं कुएं से पानी निकाल कर स्नान किया। गांधी जी की याद दिलाता यह कुंआ आज भी एलएस (लंगट सिंह) कॉलेज के प्रांगण में पुरानी यादें लिए वैसा ही है। पानी इसमें आज भी रहता है, लेकिन इस पर अब किसी को नहाने की इजाजत नहीं।
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प्रशासन ने इस कुएं को स्मारक के रूप में घोषित कर दिया है। इसके बाद इसे संगमरमरी पत्थरों से कवर करते हुए इसकी घेराबंदी कर दी गई है। अब इस कुएं का नाम गांधी कूप हो गया है। जिन दीवारों से इस कूप की घेराबंदी की गई है उन दीवारों पर गांधी के संदेश हैं जो आज भी बीते कल की यादों को ताजा कर रहे हैं।
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