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संकल्प तक सीमित अभियान, नारों में सफाई गुम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान के दो साल पूरे हो गए। दूसरी वर्षगांठ पर अभियान की जमीनी हकीकत जब तलाशी गई, तो दूर-दूर तक दिखाई नहीं पड़ी।

By Edited By: Published: Wed, 28 Sep 2016 01:49 AM (IST)Updated: Wed, 28 Sep 2016 01:49 AM (IST)
संकल्प तक सीमित अभियान, नारों में सफाई गुम

मुजफ्फरपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान के दो साल पूरे हो गए। दूसरी वर्षगांठ पर अभियान की जमीनी हकीकत जब तलाशी गई, तो दूर-दूर तक दिखाई नहीं पड़ी। शहर की साफ-सफाई नारों के शोर में गुम हो गई और अभियान संकल्प सभा से आगे नहीं बढ़ पाया। शहर की स्वच्छता को लेकर दो साल पहले हम जहां थे, उससे एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पाए।

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महात्मा गांधी जयंती पर पूरे देश की तरह जिले में भी पूरे तामझाम के साथ शुरू किया गया स्वच्छ भारत अभियान न आम जनता से जुड़ पाया और न ही सरकारी व गैरसरकारी संस्थाओं पर असर डाल पाया। शुरू के दिनों में शहर के एक दर्जन मोहल्लों में स्थानीय लोगों ने सक्रियता दिखाई थी, लेकिन सप्ताह-दो सप्ताह बाद वहां भी अभियान आगे नहीं बढ़ पाया। शुरुआती दौड़ में अभियान को सफल बनाने के लिए झाड़ू लेकर शहर की सड़कों व गली-मोहल्लों में उतरे सामाजिक व राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने जमकर फोटो खिंचवाई। अभियान को लेकर बड़ी-बड़ी बातें की, लेकिन उनका अभियान दिखावा बन कर रह गया। प्रधानमंत्री की अपनी पार्टी के नेताओं ने भी सांकेतिक सफाई तक ही अपनी भूमिका निभाई। वे अभियान से जनता को जोड़ने में विफल रहे। जिन पर इस अभियान को सफल बनाने की जिम्मेवारी थी, वे भी इसे लेकर गंभीर नहीं हुए। परिणाम यह निकला कि अभियान हर स्तर पर विफल साबित रहा और यह उनके लिए सालाना कार्यक्रम बन कर रह गया।

गांधी जयंती पर दो साल पहले शुरू किया गया स्वच्छ भारत अभियान धीरे-धीरे आगे बढ़ते गया। पर, अभियान को लेकर न जनता जगी और न ही नौकरशाह। जनप्रतिनिधियों ने तो इसकी सुध तक नहीं ली। चाहे वे किसी भी स्तर के हों। अभियान की शुरुआत होने पर सांसद, विधायक या फिर मुखिया व वार्ड पार्षद, सभी सक्रिय तो हुए, लेकिन दो कदम चलने के बाद सभी सो गए और साथ ही अभियान भी सो गया। ग्रास रूट पर मुखिया व वार्ड पार्षदों पर अभियान को सफल बनाने की जिम्मेवारी थी, लेकिन वे अपनी जवाबदेही नहीं निभा पाए। वार्डो की सफाई से प्रत्यक्ष रूप से जुड़े वार्ड पार्षद अभियान से नहीं जुड़ पाए। विधायक व सांसद ने अभियान शुरू होने के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर अभियान के प्रति जोश दिखाया। सड़कों पर झाड़ू लगाया, तस्वीर खिंचवाई और जमकर वाहवाही लूटी। लेकिन, यह सब महज मौसमी साबित हुआ। उनका जोश एक माह भी कायम नहीं रह सका और जनता अभियान से दूर हो गई।


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