अपनी भूमिका नहीं निभा पाया नगर निगम
शहर की साफ-सफाई का जिम्मा नगर निगम पर है, ऐसे में स्वच्छ भारत अभियान का नेतृत्व उसके पास था। बावजूद, वह अभियान में अपनी भूमिका नहीं निभा पाया।
मुजफ्फरपुर। शहर की साफ-सफाई का जिम्मा नगर निगम पर है, ऐसे में स्वच्छ भारत अभियान का नेतृत्व उसके पास था। बावजूद, वह अभियान में अपनी भूमिका नहीं निभा पाया। दो साल पूर्व निगम के नेतृत्व में ही जिले में अभियान की शुरुआत हुई थी, लेकिन यह अभियान निगम के लिए एक कार्यक्रम बनकर रह गया। दो साल बाद फिर निगम एक बार जगा है और एक सप्ताह का कार्यक्रम बनाकर काम कर रहा है। संकल्प सभा से लेकर रैली तक का आयोजन कर रहा है। पर, निगम अपने संकल्पों को आगे बढ़ा पाएगा या फिर कार्यक्रम तक ही अभियान सिमट कर रहा जाएगा? क्या वह शहरवासियों को अभियान से जोड़ पाएगा व शहर की सफाई व्यवस्था को पटरी पर ला पाएगा? यह सवालों के घेरे में है।
स्वच्छता से संबंधित निगम की कार्यप्रणाली पर नजर दौड़ाएं, तो हर स्तर पर कोताही बरती जा रही है। सफाई व्यवस्था को दुरुस्त बनाने के लिए योजना बनाने की जिम्मेदारी नगर निगम बोर्ड व सशक्त स्थायी समिति की है। साधन-सुविधा उपलब्ध कराने व कार्य पर निगरानी रखने की जवाबदेही निगम प्रशासन की है। सड़कों व गली-मोहल्लों को चकाचक रखने की जिम्मेदारी निगम के सफाई कर्मियों की है। काम लेने का जिम्मा वार्ड व अंचल का है। शहर साफ रहे, इसकी जिम्मेदारी आम लोगों की भी है, लेकिन हर स्तर पर कोताही बरती जा रही है। बोर्ड एवं समिति न तो आजतक कारगर योजना बना पाई और न ही निगम प्रशासन साधन व सुविधाओं का समुचित उपयोग कर पाया। सफाई कर्मी काम के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति कर रहे हैं। जनता अपने घरों का कूड़ा सड़क व नालियों में डाल रही है। ऐसे में शहर में स्वच्छ भारत अभियान को जमीनी हकीकत बनने का हम सिर्फ कोरी कल्पना ही कर सकते हैं।