पशु अस्पताल बीमार, कहीं चिकित्सक नहीं, कहीं 'फरार'
पशुधन की सुरक्षा को लेकर सरकार की घोषणाएं जिले में हवा-हवाई हैं।
मुजफ्फरपुर। पशुधन की सुरक्षा को लेकर सरकार की घोषणाएं जिले में हवा-हवाई हैं। पशुपालन विभाग के अस्पतालों में पशुओं को उपचार की सुविधा नहीं मिल पा रही है। अधिकतर अस्पतालों में चिकित्सक नहीं हैं। जहां चिकित्सक हैं, वहां उनके दर्शन दुलर्भ है। चिकित्सकों के न आने का समय है और न जाने का। यहां उनकी मनमानी चलती है। कागज पर उपचार की औपचारिकता निभाने का आरोप पशुपालकों ने लगाया है। समय को लेकर भी पशुपालकों को भ्रमित किया जाता है। पशुपालकों को बताया जाता है कि अस्पताल खुलने का समय 11 से तीन बजे तक है, जबकि विभाग ने सुबह 8.30 से तय कर रखा है।
बनारस बैंक चौक स्थित प्रांतीय पशुपालन अस्पताल में जब दैनिक जागरण की टीम पहुंची तो वहां 10 बजे तक कोई नहीं था। अस्पताल में निर्माण कार्य हो रहा था। पशु शल्य चिकित्सक डॉ. रविंद्रनाथ चौधरी मौजूद नहीं थे। कनीय पशु चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अविनाश, पशुधन सहायक आकाश एवं कम्पाउंडर ब्रजकिशोर महतो मौजूद नहीं थे। लोगों ने आरोप लगाया कि चिकित्सक समय से नहीं आते। प्रखंडों में भी अधिकतर अस्पतालों का बुरा हाल है।
पशुपालन अधिकारियों के ये पद खाली
पशुपालन विभाग में वर्षो से कई पद प्रभार में चल रहे हैं। अवर अनुमंडल पशुपालन पदाधिकारी, कुक्कुट प्रक्षेत्र बेला के सहायक निदेशक, वृहत पशु विकास मुजफ्फरपुर के विशेष उप निदेशक, फ्रोजेन सीमेन बैंक के परियोजना पदाधिकारी प्रभार में चल रहे हैं। ऐसे में सरकार की योजनाओं का लाभ पशुपालकों को नहीं मिल पा रहा है। योजनाएं व घोषणाएं छलावा बनकर रह गई हैं।
इन अस्पतालों में
नहीं हैं चिकित्सक
गायघाट, बर्री, बाघाखाल, चहुंटा, औराई, रामपुर हरि, नरमा, बोचहां, बंदरा, कुढ़नी, तुर्की, कांटी, गोविंद फुलकांहा, सरैया, सरैया-साहेबगंज, सरमस्तपुर, पैगम्बरपुर आदि अस्पतालों में चिकित्सक नहीं हैं।
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14 प्रखंडों में नहीं
हैं अधिकारी
14 प्रखंडों में प्रखंड पशुपालन अधिकारी का पद रिक्त है। बंदरा एवं मड़वन को छोड़ अन्य किसी भी प्रखंड में अधिकारी नहीं हैं।