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किसानों को मिले शोध का लाभ : राधामोहन

केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा है कि वैज्ञानिक कृषि क्षेत्र में जो भी शोध करें उसका लाभ किसानों तक पहुंचे ताकि उनका जीवन स्तर ऊंचा हो सके।

By JagranEdited By: Published: Tue, 30 May 2017 01:51 AM (IST)Updated: Tue, 30 May 2017 01:51 AM (IST)
किसानों को मिले शोध का लाभ : राधामोहन
किसानों को मिले शोध का लाभ : राधामोहन

मुजफ्फरपुर। केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा है कि वैज्ञानिक कृषि क्षेत्र में जो भी शोध करें उसका लाभ किसानों तक पहुंचे ताकि उनका जीवन स्तर ऊंचा हो सके। देश में ऐसी कई परियोजना व योजनाएं है जो किसानों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी। सोमवार को वे मुशहरी स्थित राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र मुशहरी के प्रांगण में लीची प्रोसेसिंग प्लांट के उद्घाटन के बाद किसानों एवं उपस्थित लोगों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हमारे देश के किसान काफी मेहनती हैं। उन्हें इस बात पर भरोसा है कि अपने परिश्रम, लगन, वैज्ञानिकों के शोध व बिहार सरकार के विभाग के सहयोग से वे आगे बढ़ेंगे।

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नई तकनीक से लीची को मिलेगा नया जीवन : केंद्र सरकार का मुख्य उद्देश्य लीची के विकास एवं उत्पादन बढ़ाने के लिए शोध कर नई किस्मों व तकनीक का विकास करना तथा लीची संबंधित जानकारी प्रसार विभाग को उपलब्ध कराना है। बिहार लीची उत्पादन में देश का अग्रणी राज्य है। इस वर्ष 32 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में करीब 300 मैट्रिक टन लीची का उत्पादन हो रहा है। देश में बिहार लीची उत्पादन में 40 फीसद का अपना योगदान दे रहा है। इसको देखते हुए वर्ष 2001 को यहां राष्ट्रीय लीची अनुसंधान की स्थापना की गई। बिहार के कुल क्षेत्रफल एवं उत्पादन में अकेले मुजफ्फरपुर जिले का योगदान बहुत अच्छा है। इसके बावजूद लीची उत्पादकता बढ़ाने की जरूरत है, जो वर्तमान में 8.0 टन है। इस दिशा में सभी सरकारी संस्थानों , सहकारी समितियां एवं किसानों को आगे आना होगा। कहा कि भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र एवं राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों ने लीची के फल को उपचारित करके तथा कम तापमान पर 60 दिनों तक भंडारित कर रखने में सफलता पा ली है। इसके लिए एक प्रसंस्करण संयंत्र भी विकसित किया गया है। यह तकनीक निसंदेह लीची उत्पादकों, किसानों एवं व्यापारियों के लिए अति उपयोगी सिद्ध होगी। यह लीची को नया जीवन देने जैसा है। यह केंद्र प्रतिवर्ष 35 से 40 हजार पौधे देश के विभिन्न संस्थानों, राज्यों को उपलब्ध कराता रहा है। राज्यों के कृषि विश्वविद्यालयों, केंद्र व राज्य सरकारों के विकास प्रतिष्ठानों जैसे राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड, एपीडा, राष्ट्रीय बागवानी मिशन आदि के साथ मिलकर कार्य कर रहा है। हमारे वैज्ञानिक दिन रात मेहनत कर उन्नत किस्म व कृषि क्रियाओं का विकास कर रहे हैं, जिसे राज्य सरकार ,कृषि विज्ञान केंद्रों व अन्य संस्थाओं द्वारा जनता तक पहुंचाने की जरूरत है।

चंपारण में शुरू हुआ फॉ‌र्म्स फस्ट परियोजना : केंद्र सरकार ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की फॉ‌र्म्स फस्ट परियोजना का क्रियान्वयन पूर्वी चंपारण जिले से किया है जिसमें आठ गांवों को शामिल किया गया है। वहां के एक हजार किसान परिवार कई तकनीकों का लाभ ले रहे हैं। यह भारत सरकार एवं अनुसंधान परिषद की अनोखी पहल है।

कृषि उत्पादन बढ़ाने में राज्य सरकार करेगी मदद : सूबे के कृषि मंत्री रामविचार राय ने लीची उत्पादन, फल- सब्जी विकास पर बल देते हुए कहा कि वर्तमान परिपेक्ष्य में जोत की जमीन घट रही है और आबादी बढ़ रही है। अगर उत्पादन को नहीं बढ़ाया गया तो स्थिति भयावह हो जाएगी। इसलिए ऐसी तकनीक अपनाई जाए कि कम जमीन में ही अधिक उत्पादन लिया जा सके। इसके लिए राज्य सरकार किसानों को हरसंभव मदद देने को तैयार है, ताकि कृषि उत्पादकता को बढ़ाई जा सके। इसके बाद ही किसानों की माली हालत में सुधार आ सकता है।

लीची को बीमा के दायरे में लाने की मांग : बोचहां विधायक बेबी कुमारी ने केंद्रीय कृषि मंत्री से लीची फसल को बीमा की श्रेणी में रखने की मांग की।

कार्यक्रम को इन्होंने भी संबोधित किया : कुढ़नी विधायक केदार प्रसाद गुप्ता, पूर्व विधायक सह जिला भाजपा अध्यक्ष रामसुरत राय, कुलपति राजेंद्र कृषि केंद्रीय विवि, अभय कुमार परमाणु ऊर्जा विभाग, डॉ. शेखर बसु अध्यक्ष बार्क, डॉ. आनंद कुमार सिंह ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। आगत अतिथियों का स्वागत बार्क के निदेशक चट्टोपाध्याय एवं केंद्र निदेशक डॉ. विशाल नाथ ने किया। मंच का संचालन प्रगतिशील किसान नीरज नयन ने किया ।

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मंत्रीजी का इन मुद्दों पर रहा विशेष फोकस

-: स्वॉयल हेल्थ कार्ड

:14 करोड़ किसान को मिलना था

:अब तक 2 करोड़ 53 लाख ही बना

:इसके लिए हैंड डिवाइस लैब का निर्माण

:गुड़ प्रोसेसिंग यूनिट का निर्माण

:इंट्रीग्रेटेड फॉर्म

:वैज्ञानिकों द्वारा बागों को गोद लेना

:उक्त बागों पर विशेष ध्यान देना

: बार्क से दस वैज्ञानिक आए

: एनआरसी से केंद्र निदेशक डॉ. विशालनाथ, डॉ. एसडी पांडेय, डॉ. एसके पूर्वे, डॉ. अमरेंद्र कुमार, डॉ. स्वाति शर्मा, डॉ. आलोक गुप्ता, डॉ. आलेम वती एवं डा. इवनिंग स्टोन मौजूद रहे।


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