मुजफ्फरपुर में भी बसता है एक 'ईरान', जानिए
मुजफ्फरपुर में तिरहुत की संस्कृति के साथ-साथ ईरान की संस्कृति भी फल - फूल रही है। शहर के मेहंदी हसन रोड व कोल्हुआ पैगंबरपुर में रह रहे ईरानी लोग अपनी संस्कृति को जिंदा रखे हुए है।
मुजफ्फरपुर [जेएनएन]। मुजफ्फरपुर कई संस्कृतियों का संगम स्थल है। यहां तिरहुत की संस्कृति के साथ-साथ ईरान की संस्कृति भी फल - बढ़ रही है। शहर के मेहंदी हसन रोड व कोल्हुआ पैगंबरपुर में रह रहे ईरानी लोग अब भी अपनी संस्कृति को जिंदा रखे हुए है।
आपसी बातचीत से लेकर शादी-विवाह व त्योहार में वे ईरान की संस्कृति व परंपरा का अनुपालन करते हैं। हालांकि वर्तमान पीढ़ी के किसी लोग का ईरान से कोई संपर्क नहीं है। ये लोग सभी तरह के विवादों का आपस में ही समाधान करते हैं।
दशकों पूर्व ईरान से व्यापार करने कुछ लोग मुजफ्फरपुर आए और फिर यहीं रह गए। मेहंदी हसन रोड व कोल्हुआ पैगंबरपुर में बसे इन लोगों ने चश्मा व नगीने का कारोबार आरंभ किया। यहां की भाषा सीखी। नई पीढ़ी के बच्चे सामान्य शिक्षा प्रणाली से जुड़कर नौकरी भी करने लगे हैं। इतना कुछ बदलने के बावजूद उन्होंने अपनी भाषा व परंपरा को बचाकर रखा।
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इस बस्ती में रहनेवाले शादी-विवाह व धार्मिक आयोजनों को एक साथ मनाते हैं। इस दौरान नई पीढ़ी को अपनी संस्कृति से जुडऩे का अवसर उपलब्ध होता है। ईरानी समाज में महिलाओं को बेहतर स्थान दिया गया है। उन्हें वो सबकुछ करने की आजादी है जो वे करना चाहती हैं।
ईरानी बस्ती की एक और विशेषता है कि किसी प्रकार का विवाद होने पर वे कोर्ट, कचहरी या थाने नहीं जाते। विवाद होने पर वे बस्ती के मुखिया के पास जाते हैं और वे जो फैसला सुनाते हैं, वह सभी को मान्य होता है। ऐसा नहीं करने वालों का सामाजिक बहिष्कार किया जाता है। विवाह भी अपनी बस्ती और अपने लोगों के बीच ही करते है। स्थानीय लोगों से ये सहज सामंजस्य स्थापित कर लेते हैं।
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बस्ती के मुखिया बाबा रहमत हुसैन बताते हैं कि मुगल काल में गलीचा, घोड़ा व नगीना के व्यापार के लिए ईरान से भारत में काफिला आता था। वर्ष 1961 में मंसूर अली मुजफ्फरपुर आए और मेहंदी हसन रोड में अपना बसेरा बनाया। बाद में कई और परिवार आए और धीरे-धीरे एक बस्ती बस गई। यहां जगह कम पड़ा तो दो दशक पूर्व कोल्हुआ पैगंबरपुर में भी कुछ लोग रहने लगे और देखते-देखते आज वहां तीन दर्जन परिवार बस गए हैं। ये लोग भारत के नागरिक हैं। मताधिकार प्राप्त ये लोग सक्रिय राजनीति में भी भाग लेने लगे हैं।
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