.. मैं तो कहूं सांवरिया बांसुरी वाला
मुजफ्फरपुर। संत नित्यानंद दास ने कहा कि हमें शास्त्र व गुरु के वचनों पर विश्वास कर उसे जीवन में उता
मुजफ्फरपुर। संत नित्यानंद दास ने कहा कि हमें शास्त्र व गुरु के वचनों पर विश्वास कर उसे जीवन में उतारना चाहिए। हां, गुरु के चयन में सावधानी बरतने की जरूरत है। सच्चा गुरु वही है जो शास्त्र सम्मत उपदेश दे। भागवत धर्म का आचरण करे। वह भगवानपुर के स्वामी सहजानंद कॉलोनी में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन शनिवार को व्यास पीठ से बोल रहे थे। राजा पृथु व सनकादि ऋषियों के संवाद की चर्चा करते हुए कहा कि जो गुरु केवल धन लेते हैं, शिष्य का कल्याण नहीं सोचते, वे नरक में जाते हैं। शिष्य को चाहिए कि वह सहृदयता पूर्वक गुरु के चरणों में दान करे। इसके विपरीत गुरु को चाहिए कि वे इसे अपने पास न रखकर शिष्य को प्रसाद स्वरूप भेंट कर दें। महाराज जी ने कहा कि इस संसार में जिसने भी जन्म लिया, उन्हें जन्म, मृत्यु, जरा व व्याधि, ये चार तरह के क्लेश झेलने ही पड़ते हैं। यदि इससे मुक्ति पाना है तो नित्य भगवान का भजन करें। जो जन्म-मृत्यु के चक्र से छुड़ा दे वही जनार्दन है। इसलिए हमें भगवान मधुसूदन के मधुर नामों का भजन करना चाहिए। कथा के दौरान गाए गीत 'कोई कहे गोविन्द कोई गोपाला, मैं तो कहूं सांवरिया बांसुरीवाला..' पर भक्तगण मगन हो झूमने लगे। भगवान के विविध अवतारों की चर्चा के बाद श्रीकृष्ण जन्म का प्रसंग आने पर लोगों के आनंद का ठिकाना न रहा। खूब खुशियां मनाई गई। कथा में सुधीर कुमार सिंह, सुधांशु शेखर, अरुण कुमार सिंह, रंजन झा, माधव कांत झा, मुकुल, प्रभात भारद्वाज आदि मौजूद रहे।