'बाजारवाद ने समाज को बनाया असहिष्णु'
मुजफ्फरपुर : मौजूदा समाज में शांति का अभाव है। इसकी वजह प्रेम की कमी है। प्रेम किस तरह जाग्रत हो,
मुजफ्फरपुर :
मौजूदा समाज में शांति का अभाव है। इसकी वजह प्रेम की कमी है। प्रेम किस तरह जाग्रत हो, यह एक यक्ष प्रश्न है। सामाजिक व राजनैतिक व्यवस्था ही प्रेम जाग्रत करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती है। ये बातें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चित समाजवादी चिंतक सच्चिदानंद सिन्हा ने कही। वे रविवार को आठवां अयोध्या प्रसाद खत्री सम्मान समारोह में अध्यक्षीय संबोधन कर रहे थे। इससे पहले प्रख्यात कवि, चिंतक व मनोचिकित्सक डॉ. विनय कुमार को अयोध्या प्रसाद खत्री स्मृति समिति की ओर से आठवां अयोध्या प्रसाद खत्री सम्मान दिया गया।
दुनिया को संकट में डाला
अपने संबोधन में डॉ. विनय कुमार ने कहा कि उनके व्यक्तित्व के विकास में दादा, पिता और मां की अहम भूमिका है। अन्याय के खिलाफ संघर्ष पिता से सीखा है। आज के अभिभावकों को भी युवा पीढ़ी को बेहतर इंसान बनने की प्रेरणा देनी चाहिए। कहा कि वैश्वीकरण के दुष्प्रभाव से 2020 तक अवसाद हृदय रोग से अधिक फैल जाएगा।
¨हदी के प्रख्यात कवि पंकज सिंह ने कहा कि फ्रांस के मनोचिकित्सक इतने रचनात्मक हैं कि वहां साहित्य गौण हो गया है। उन्होंने अमेरिकन साम्राज्यवाद की नीतियों को मानवता विरोधी बताया है। साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित डॉ. अरुण कमल ने कहा कि प्रेम के अभाव में ही समाज में ¨हसा फैलती है। बाजार का आतंक धार्मिक आतंकवाद की तरह चुनौती दे रहा है। इसने मनुष्य को मनोरोगी बना दिया है।
विषय प्रवर्तन करते हुए अच्युतानंद मिश्र ने मौजूदा समाज में असहिष्णुता की स्थिति पर कटाक्ष किया। कहा कि कबीर जैसे कवि की तीखी आलोचना आज का समाज बर्दाश्त नहीं कर पाता। संचालन मनोज कुमार वर्मा व धन्यवाद ज्ञापन कामेश्वर प्रसाद ने किया। उपस्थित साहित्यकारों में पटना से आए अनिल विभाकर, वरिष्ठ कवि साहित्यकार डॉ. नंद किशोर नंदन, चर्चित समालोचक डॉ. रेवतीरमण, प्रख्यात गीतकार डॉ. संजय पंकज, डॉ. रमेश ऋतंभर, डॉ. पूनम सिंह, डॉ. पुष्पा सिन्हा, पंखुड़ी, संजीत किशोर आदि रहे।
समारोह की मुख्य बातें :
2020 तक अवसाद का रोग हृदय रोग से अधिक फैलेगा
आज के दौर में कबीर होते तो उनके साथ भी होती बदसलूकी
प्रेम के अभाव में ही आज समाज में फैल रही है ¨हसा
ये हैं किताब की खास बातें
डॉ. विनय कुमार की कृति एक मनोचिकित्सक के नोट्स में कई विषयों पर निबंध हैं। इसमें उनके मनोचिकित्सक के रूप में अनुभव, मनोविज्ञान के अध्ययन के निष्कर्ष और समाज में फैल रहे मनोरोगों पर चिंतन है। ग्लोबलाइजेशन के दुष्प्रभाव का तथ्यपरक विश्लेषण है। देश की सर्वाधिक बिकने वाली तीन किताबों में यह भी प्रमुख है।