लीची अनुसंधान केंद्र पर जुटने लगे किसान
मुजफ्फरपुर : लीची उत्पादक किसान अब राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र पर दस्तक देने लगे हैं। प्रतिदिन कि
मुजफ्फरपुर : लीची उत्पादक किसान अब राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र पर दस्तक देने लगे हैं। प्रतिदिन किसान जहां केंद्र पर आ रहे हैं, वहीं निदेशक के सरकारी मोबाइल फोन पर सलाह लेने का तांता लगा हुआ है। दैनिक जागरण की खबर पढ़कर देश रत्न डॉ.राजेन्द्र प्रसाद की जन्म धरती सारण से किसान लीची लगाने को आगे आए हैं।
किसानों का सीधा जुड़ाव
लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ. विशालनाथ व प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एसके पूर्वे ने कहा कि दैनिक जागरण सही मायने में किसानों का मददगार है। लगातार लीची पर खबर छपने के कारण पहली बार ऐसा लगा कि किसानों का सीधा जुड़ाव अनुसंधान केंद्र से हो रहा है। प्रतिदिन चार-पांच किसान जहां अनुसंधान केंद्र पर आ रहे हैं, वहीं मोबाइल से भी सुझाव ले रहे हैं। निदेशक ने कहा कि बहुत अच्छा लग रहा है किसानों की सेवा करते हुए। वे कृषि विभाग को पत्र लिख रहे हैं कि अनुसंधान केंद्र से अनुशंसित दवा को बाजार में उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें। किसानों से अपील की कि उनको किसी तरह की सलाह की जरूरत हो तो आकर मिलें। केंद्र पर मुफ्त सलाह दी जाती है।
लीची उत्पादक विकास मोर्चा के संयोजक मुरलीधर शर्मा तथा प्रगतिशील किसान शंभूनाथ चौबे ने कहा कि बहुत जल्द किसान लीची के मुआवजे को लेकर मुख्यमंत्री, जिलाधिकारी, प्रमंडलीय आयुक्त सहित अन्य वरीय अधिकारी को पत्र देंगे।
बोले किसान, चाहिए बाजार
लीची उत्पादक लस्करीपुर के किसान अरुण कुमार सिंह, हरिप्रसन्न यादव सदातपुर के किसान सुरेंद्र कुमार यादव, बैरिया के शशिकांत तिवारी, सोनबरसा किसान के राजीव पांडेय, सहबाजपुर के किसान रामनरेश शाही, हिछरा के किसान सुदर्शन सिंह ने कहा कि लीची किसान को बाजार नहीं मिलता है। बाजार की व्यवस्था हो तथा इस साल जो नुकसान हुआ उसका मुआवजा मिले।
बेहतर उत्पादन के लिए सलाह
- सितंबर, अक्टूबर व नवंबर में कीड़ा लगी टहनी की छंटनी करते हुए उसको जमीन के अंदर दबा दें।
-मोजर निकलने के बाद व फूल खिलने से पहले एक कीटनाशी का छिड़काव करें।
-दूसरा छिड़काव फल लगने के दस दिन बाद करें।
-उसके बाद दस-दस-दस दिन पर तीन छिड़काव करते चलें, ऐसी दवा का छिड़काव करें ताकि उसका जहर फल के अंदर न जाए।
- खेत में यदि फल हो तो उसकी सफाई कर दें तथा नीम या करंज की खली चार किलो प्रति पौधे के हिसाब से दें।
-लीची उत्पादक किसान अपनी मर्जी या दुकानदार की मर्जी से दवा का छिड़काव न करें।
-दवा छिड़काव करने से पहले राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र से संपर्क करें तथा सलाह लेकर दवा दें।