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पावस ऋतु उपहास बना है ..

- काव्य संध्या का आयोजन जासं, मुजफ्फरपुर : पावस ऋतु उपहास बना है, धरती को तरसाते बादल। यह गीत सुन

By Edited By: Published: Sun, 26 Jul 2015 09:02 PM (IST)Updated: Sun, 26 Jul 2015 09:02 PM (IST)
पावस ऋतु उपहास बना है ..

- काव्य संध्या का आयोजन

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जासं, मुजफ्फरपुर : पावस ऋतु उपहास बना है, धरती को तरसाते बादल। यह गीत सुनाकर राजमंगल पाठक ने श्रोताओं का दिल जीत लिया। अवसर रहा नटवर साहित्य परिषद के तत्वावधान में आयोजित काव्य संध्या का। शहीद भगवानलाल स्मारक भवन में बहती रही काव्य रस की धारा। अध्यक्षता कृष्णमोहन प्रसाद मोहन ने की। स्वागत भाषण नागेंद्र नाथ ओझा ने किया। धन्यवाद सचिव रणवीर अभिमन्यु ने दिया। बादल पर ही यमुना ठाकुर ने ये पंक्तियां सुनाई-बदरा ले तू जल भर लाओ। ई. सत्यनारायण मिश्र ने भी बादल राग सुनाया-बादलों का सैर करना, आसमां में मौन रहना सालता है। डॉ. विजय शंकर मिश्र ने यह गीत सुनाकर सभी को भावुक कर दिया-आज भी फुटपाथ पर सोए हुए कुछ लोग थे, भूख के संघर्ष में हारे हुए कुछ लोग थे। काव्य पाठ करने वालों में नईम कौसर, कृष्णमोहन प्रसाद मोहन, रमेश कुमार मिश्र प्रेमी, नर्मदेश्वर चौधरी, देवेंद्र कुमार, पंकज सिन्हा, हरिनारायण गुप्त, रविप्रकाश वोहरा, जगदीश शर्मा, मुन्नी चौधरी, नंद कुमार आदित्य, डॉ. रामविलास आदि रहे।


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