खेलने के लिए मांगा चांद तो परेशान हुई कौशल्या
मुजफ्फरपुर। आज लल्ला झूल रहे सोने के पालना .., छटा को निहार जरा होश को संभालना। माता कौशल्या के अपने
मुजफ्फरपुर। आज लल्ला झूल रहे सोने के पालना .., छटा को निहार जरा होश को संभालना। माता कौशल्या के अपने लाल को पालने में झुलाते व दुलारने का प्रसंग सुनाते हुए जब संत छोटे बापू ने भजन सुनाया तो भक्तजन भावविभोर हो गए। मस्ती में झूमते भजन को दोहराने लगे। तालियों की गड़गड़ाहट से परिसर गूंज उठा। रविवार को राम कथा ज्ञान यज्ञ के पांचवें दिन रेलवे कॉलोनी के प्रांगण में प्रभु श्रीराम की बाल लीला सुनाते हुए कथावाचक ने बताया कि एक बार खेल-खेल में प्रभु ने माता से चंद्रमा को गेंद के रूप में मांगने की जिद की। परेशान माता ने थाली में पानी रखकर चंद्रमा की परछाई दिखाई, तब वे शांत हुए। कथावाचक ने कहा कि इस प्रसंग का आध्यात्मिक कारण है कि चंद्रमा मन के देवता हैं। भगवान माता से चंद्रमा मांगने के बहाने भक्तों का मन मांग रहे हैं। बाद में कथावाचक ने विश्वामित्र यज्ञ रक्षा के लिए दशरथ पुत्र राम-लक्ष्मण को पिता से मागने का प्रसंग सुनाया। वहीं आश्रम में यज्ञ रक्षा के दौरान तारका व मारीच सुबाहु के उद्धार का प्रसंग विस्तारपूर्वक बताया। रास्ते में अहिल्या उद्धार प्रसंग में जनकपुर पहुंचकर कथा को विश्राम दिया। मौके पर काफी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।