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रूप और शील के सागर हैं श्रीराम

जासं, मुजफ्फरपुर : भगवान श्रीराम रूप और शील के सागर हैं, ज्ञान शिरोमणि व प्रेम के धाम हैं साथ ही शूर

By Edited By: Published: Sun, 29 Mar 2015 04:24 AM (IST)Updated: Sun, 29 Mar 2015 04:24 AM (IST)
रूप और शील के 
सागर हैं श्रीराम

जासं, मुजफ्फरपुर : भगवान श्रीराम रूप और शील के सागर हैं, ज्ञान शिरोमणि व प्रेम के धाम हैं साथ ही शूरवीर भी हैं। वे दयानिधान और दीनबंधु हैं। ये बातें जवाहर लाल रोड स्थित भारत सेवाश्रम संघ के प्रांगण में चल रही श्रीराम कथा के आठवें दिन कथावाचक पं.मनीष माधव ने कहीं। कहा कि भारतीय संस्कृति में श्रीराम की छवि मर्यादा पुरुषोत्तम की इसलिए है, कि उन्होंने अपने जीवन में कभी अहिल्या का उद्धार किया तो कभी केवट को मित्र बनाकर सम्मान दिया। कभी शबरी की कुटिया में जाकर उसका मान रखा तो कभी गिद्धराज जटायु को पिता का दर्जा देकर पुण्यगति प्रदान की। राम ने मानव तो मानव, सभी जीव-जंतुओं पर अपना स्नेह व करुणा बरसायी। कथा के अंतिम दिन कथावाचक ने कहा कि रामनवमी पर्व हमें संदेश देता है कि भक्त केवल प्रभु श्रीराम के जन्म का उत्सव ही नहीं मनाएं, अपितु उनके आदर्शो को अपने जीवन में उतारने का संकल्प भी लें। ऐसा करने से हर बालक में राम और बालाओं में सीता जैसे संस्कार विकसित होंगे। भारत का हर गांव अयोध्या होगा और यह देश विश्व गुरु के पद पर प्रतिष्ठित होगा। कथा में आश्रम प्रमुख स्वामी दीन प्रभानंद जी महाराज, आचार्य चंद्र किशोर पाराशर, विनय मिश्र, संजय, अजय तिवारी आदि मौजूद रहे।


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