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इनकी ‘दीक्षा’ से यहां घर-घर शिक्षा

शिक्षा के क्षेत्र में इनके योगदान से जिला गौरवान्वित है।

By Mrityunjay Kumar Edited By: Published: Mon, 22 Dec 2014 09:37 AM (IST)Updated: Mon, 22 Dec 2014 09:41 AM (IST)
इनकी ‘दीक्षा’ से यहां घर-घर शिक्षा

मोतिहारी ( सत्येन्द्र कुमार झा) । शिक्षा के क्षेत्र में इनके योगदान से जिला गौरवान्वित है। विज्ञान व गणित के क्षेत्र में मार्गदर्शन का कायल भी। इनकी ‘दीक्षा’ यहां घर-घर को शिक्षित करने तक ही सीमित नहीं। सूबे व राष्ट्रीय स्तर तक महती भूमिका के कारण ही तो राष्ट्रपति पुरस्कार से नवाजे जा चुके हैं बाबूलाल झा। सूबे की बेहतर शिक्षा नीतियों के निर्धारण में सक्रिय भागीदारी रही है। विदेशों में शिक्षा का अध्ययन कर केंद्र सरकार का भी मार्गदर्शन किया।बाबूलाल झा ने अपना पूरा जीवन शिक्षा को समर्पित कर दिया। सेवानिवृत्त हो चुके हैं, लेकिन शिक्षा को बेहतर करने की दिशा में हमेशा आगे रहते। जिले में बच्चों को आज भी विज्ञान व गणित के क्षेत्र में बेहतर करने का पाठ पढ़ा रहे।

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शिक्षा नीति के निर्धारण में तो इनकी भूमिका प्रदेश स्तर पर रही। 2005 में तैयार हुआ पाठ्यक्रम व पुस्तक के प्रकाशन में सक्रिय रहे। वर्ग 4 से 8 तक की विज्ञान पुस्तक में बतौर लेखक व समीक्षक भागीदारी रही। इतना ही नहीं ‘मिनिमम लेवल ऑफ लर्निग’ के तहत राष्ट्रीय स्तर पर मापदंड का निर्धारण किया। किस उम्र के बच्चों को कितनी जानकारी होनी चाहिए, इसके निर्धारण के लिए ही वर्ष 2000 में इन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार दिया गया। एमएलएम के प्रांत संयोजक भी रह चुके हैं। 1प्रारंभिक स्तर पर इस एजुकेशन प्रोजेक्ट को सात जिलों में लागू कराया था।

सीतामढ़ी, शिवहर, मुजफ्फरपुर, पूर्वी व पश्चिमी चंपारण में विज्ञान प्रदर्शनी, विज्ञान कार्यशाला, विज्ञान दिवस समेत विज्ञान से संबंधित कई कार्यक्रमों के माध्यम से बच्चों का मार्गदर्शन करते रहे हैं। हाल में उन्होंने मई से सितंबर, 2014 तक यूके, फ्रांस, जर्मनी व जापान की यात्रा कर वहां की शिक्षा व्यवस्था का अध्ययन किया। विस्तृत रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपकर उसे भारत में भी लागू कराने का प्रस्ताव रखा। साइंस फॉर सोसायटी के प्रदेश उपाध्यक्ष व जिला सचिव की भूमिका में अभी बच्चों का मार्गदर्शन कर रहे हैं।


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