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बजरी खिला भाई को बनाया वज्र

मुजफ्फरपुर, संस : भाई-बहन के असीम स्नेह का पर्व भैया-दूज शनिवार को हर्षोल्लास मनाया गया। इसमें बहनों

By Edited By: Published: Sat, 25 Oct 2014 08:02 PM (IST)Updated: Sat, 25 Oct 2014 08:02 PM (IST)
बजरी खिला भाई को बनाया वज्र

मुजफ्फरपुर, संस : भाई-बहन के असीम स्नेह का पर्व भैया-दूज शनिवार को हर्षोल्लास मनाया गया। इसमें बहनों ने यम के द्वार को कूटते हुए अपने भाइयों की लंबी उम्र की कामना की। फिर उन्हें बजरी खिलाई।

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दिया शाप, चुभाए कांटे

गोधन के मौके पर शनिवार को बहनों ने भाइयों को खूब कोसा और अपशब्द कहे। यहा तक कि उन्हें शाप भी दिया। इसमें हर उम्र की महिलाएं थीं। बहनों ने अनोखी परंपरा का निर्वहन करते हुए पहले तो अपने भाइयों को मरने का शाप दिया, फिर प्रायश्चित करते हुए अपनी जीभ पर कांटे चुभाए। बताया कि शाप देने व जीभ पर कांटा चुभा कर प्रायश्चित करने के पीछे एक ऐसी मान्यता छिपी हुई है, जो भाई-बहन के प्रेम को अटूट और अक्षुण्ण बनाने का कार्य करती है। मान्यता है कि इस दिन भाइयों को गालियां और शाप देने से उन्हें यम (यमराज) का भी भय नहीं होता।

बहनों ने की यम-यमी की कुटाई

तड़के सुबह बहनों ने सामूहिक रूप से गोबर से चौकोर आकृति बनाई, इसमें यम लोक के प्राणियों की प्रतिमूर्ति बनाई गई। पूजा-अर्चना के बाद अपने भाई की सुरक्षा के लिए उन्होंने मूसल से यम लोक में स्थित यम व यमी सहित भाई को नुकसान पहुंचाने वाले विभिन्न तत्वों की कुटाई की। बहनों ने बताया कि ऐसी कुटाई करने से यम दूत व यम-यमी भाग खड़े होते हैं। यम लोक की कुटाई करने के बाद यमलोक में मूसल को रख कर भाई को पार कराया।

लगाया तिलक, खिलाई बजरी

पूजा में आकृति के भीतर केराव (बजरी), ईट, नारियल, सुपारी और रेंगनी के कांटे भी रखे गए थे। गोधन कूटने के दौरान वे गीत भी गा रही थीं। गोधन कूटने के बाद उसमें डाले गए केराव (बजरी) को निकाल लिया गया। फिर सभी बहनें अपने-अपने घर गई। घर पर अपने भाइयों को तिलक लगाकर बजरी खिलाई। इस दौरान भाइयों ने अपनी बहनों को उपहार भी दिए। इस अवसर घरों में मीठा भोजन बनाया गया था।


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