सरकार के निर्णय से व्याख्याता अभ्यर्थी निराश
जासं, मुजफ्फरपुर : अरसे बाद व्याख्याता नियुक्ति की कवायद शुरू होने के साथ ही इस पर सवाल उठने लगे हैं। बीपीएससी द्वारा जारी विज्ञापन के तहत 2009 रेगुलेशन के अनुसार पीएच.डी करने वाले को ही अभ्यर्थी के लिए मुख्य पात्र माना गया है। वैसे, नेट-बेट एवं 2009 से पहले के पीएच.डी करने वाले को भी आवेदन की अनुमति दे दी गई है। लेकिन, अभ्यर्थी से लेकर शिक्षासेवियों तक इसे साजिश बता रहे हैं।
जदयू नेता महंथ राजीव रंजन दास ने इस संबंध में शिक्षा मंत्री को पत्र लिखा है। वहीं, कई अभ्यर्थी न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के मूड में हैं। विवि के वरिष्ठ शिक्षक डॉ. वीरेन्द्र कुमार सिंह ने भी निर्णय पर आपत्ति जताते हुए कहा कि सरकार की मंशा सही नहीं है। एक तरफ अधिकतर सीटें समाप्त कर दी गई, वहीं दूसरी तरफ जारी गाइडलाइन से साफ है कि सूबे के अधिकतर अभ्यर्थी व्याख्याता नहीं बन सकेंगे। महंथ श्री दास ने शिक्षा मंत्री को भेजे पत्र में कहा है कि यूजीसी 2009 रेगुलेशन के अंतर्गत पीएच.डी करने वालों की संख्या अभी काफी कम है। जो शोधार्थी इस आधार पर शोध कर रहे हैं, उनका रिजल्ट भी नहीं आया है। नेट-सेट क्वालिफाई करने वाले भी कम ही हैं। जबकि, बेट का आयोजन सिर्फ 1995 में ही हुआ। ऐसी स्थिति में 3500 पदों के लिए अभ्यर्थी मिलना मुश्किल हो जाएगा।