डीएसटी निदेशक की नियुक्ति पर सवाल
जासं, मुजफ्फरपुर : विज्ञान एवं प्रावैधिकी विभाग (डीएसटी) में निदेशक की नियुक्ति का मामला सवालों के घेरे में आ गया है। विभाग के संकल्प के प्रतिकूल भारतीय टेलीफोन सेवा के एक कनीय अधिकारी को निदेशक बनाया गया है। उनकी योग्यता बीटेक है जबकि अभियंत्रण महाविद्यालयों में कई शिक्षक पीएच.डी की उपाधि रखते हैं। इस पर सवाल उठाते हुए तिरहुत शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचित विधान पार्षद डॉ. संजय कुमार सिंह ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। उन्होंने लिखा है कि इस नियुक्ति को ज्ञानात्मक दृष्टि से उचित नहीं माना जा सकता। विभाग के एक सितंबर 2000 के संकल्प संख्या 537 की भी चर्चा की है। इसमें चक्रीय क्रम में तीन वर्ष के लिए पॉलिटेक्नीक के वरीय शिक्षक व अगले तीन साल के लिए अभियंत्रण महाविद्यालय के वरीय शिक्षक को निदेशक नियुक्त करने का प्रावधान है। पॉलिटेक्नीक का टर्म समाप्त होने के बाद डॉ. ध्रुव प्रसाद निदेशक बने। वे अभी निलंबित हैं। बचे हुए टर्म के लिए अभियंत्रण महाविद्यालय से वरीय व योग्य शिक्षक को नियुक्त करने की मांग विधान पार्षद ने की है। प्रतिलिपि विभागीय मंत्री व मुख्य सचिव को भी भेजी है।
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क्या है गाइड लाइन
विज्ञान व प्रावैधिकी विभाग के संकल्प के मुताबिक निदेशक के पद पर अभियंत्रण महाविद्यालयों के निदेशक/प्राचार्य/प्राध्यापक, जो अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा पर्षद द्वारा निर्धारित अर्हता रखते हों। साथ ही पॉलिटेक्नीक एवं खनन संस्थान के स्थायी एवं नियमित प्राचार्य, जो अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा पर्षद द्वारा निर्धारित योग्यता रखने वाले नियुक्ति एवं पदस्थापन के योग्य होंगे।
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नहीं खोजा गया योग्यताधारियों को
बिहार के विभिन्न अभियंत्रण महाविद्यालयों में कम से कम तीन लोग ऐसे हैं, जो निदेशक की योग्यता रखते हैं। इसके बावजूद उनकी अनदेखी की गई। प्रोफेसर रैंक में अध्यापन कार्य करने वाले लोगों का नियंत्रण पदाधिकारी टेलीफोन सेवा के एक कनीय अधिकारी को सौंपने पर विधान पार्षद ने चिंता जताई है।