मेयर चुनाव में हुई थी 1.40 करोड़ की डील!
संजीव कुमार, मुजफ्फरपुर : 'नोट फॉर वोट' मामले की परत दर परत खुलने लगी है। इसके साथ ही शहर का राजनीतिक तापमान गरमा गया है। शुक्रवार को भी लोगों ने पुतला दहन व प्रदर्शन किया।
बता दें कि 2007 के मेयर चुनाव के दौरान 22 वार्ड पार्षदों की खरीद-फरोख्त में एक करोड़ 40 लाख रुपये लेन-देन का आरोप है। विजिलेंस कोर्ट में दर्ज मुकदमे में कहा गया है कि सेंट्रल बैंक, स्टेट बैंक, यूको बैंक समेत कई अन्य बैंकों से इस राशि की निकासी हुई थी। विजिलेंस की टीम ने इन बिन्दुओं पर जांच कर कई बैंकों से रिपोर्ट मांगी थी। कुछ ने विस्तृत विवरण उपलब्ध कराए। लेकिन, कुछ ने विवरण नहीं दिया। मामले को गंभीरता से लेते हुए विजिलेंस ने उन बैंकों के विरुद्ध भी प्राथमिकी दर्ज करने की तैयारी शुरू कर दी है।
कहते हैं विजिलेंस सूत्र
-आइपीसी की धारा 188 के तहत इन बैंकों के विरुद्ध कांड अंकित किया जाएगा। विजिलेंस अधिकारियों ने कहा कि लेन-देन के पुख्ता सबूत मिले हैं। लेकिन, जांच रिपोर्ट गोपनीय है।
-रिपोर्ट को निगरानी कोर्ट में समर्पित करने के बाद विस्तृत खुलासा किया जाएगा।
पहली जांच रिपोर्ट खारिज क्यों?
-मुकदमे में कोर्ट ने 2012 में सुनवाई के दौरान वर्ष 2007 से चल रहे मामले की पहली जांच रिपोर्ट को खारिज कर दिया था।
-निगरानी कोर्ट के आदेश पर दोबारा विजिलेंस के एसपी उपेन्द्र प्रसाद सिंह ने पूरे प्रकरण की जांच की।
-एसपी ने खरीद-फरोख्त के आरोपों को सत्य पाते हुए मुख्यालय को रिपोर्ट सौंप दी है।
डिप्टी मेयर ने नहीं दी थी गवाही
-'नोट फॉर वोट' प्रकरण में डिप्टी मेयर सैयद माजिद हुसैन ने गवाही नहीं दी थी। विजिलेंस ने दर्ज मुकदमे में गवाह पूर्व के पार्षद तथा वर्तमान के डिप्टी मेयर सैयद माजिद हुसैन को नोटिस देकर गवाही के लिए बुलाया था। लेकिन, वे उपस्थित नहीं हुए।
कोटेशन
-आखिर क्या वजह है कि उन्होंने अपने को इस केस से दूर रखा? इस पर डिप्टी मेयर ने कहा कि बिना पूछे ही उनका नाम गवाह के रूप में दे दिया गया था। विजिलेंस ने नोटिस भेजा था। लेकिन, उन्हें इस प्रकरण में कुछ भी जानकारी नहीं थी। नतीजतन, उन्होंने विजिलेंस को अपना बयान नहीं दिया।
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