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आज आएंगे सरकार, मुंगेर को है नजरे इनायत की दरकार

सिद्धार्थ भदौरिया, मुंगेर। मुंगेर सूबे के पुराने जिलों में एक है। आज मुंगेर से निकले छह अलग

By Edited By: Published: Wed, 18 Jan 2017 03:05 AM (IST)Updated: Wed, 18 Jan 2017 03:05 AM (IST)
आज आएंगे सरकार, मुंगेर को है नजरे इनायत की दरकार
आज आएंगे सरकार, मुंगेर को है नजरे इनायत की दरकार

सिद्धार्थ भदौरिया, मुंगेर। मुंगेर सूबे के पुराने जिलों में एक है। आज मुंगेर से निकले छह अलग-अलग जिलों का अपना अस्तित्व है। मुंगेर जिला के अलावा प्रमंडल मुख्यालय भी है। मुंगेर के आस-पास के जिलों व प्रमंडलों का विकास तेजी से हो रहा है। भागलपुर को स्मार्ट सिटी का दर्जा मिल चुका है। पूर्णिया प्रमंडल में चौड़ी सड़कों का बेहतरीन जाल बिछाकर इसे बिहार के व्यवसायिक केंद्र के रूप में विकसित करने का काम किया जा रहा है। लेकिन, असीम संभावानाओं के बाद भी मुंगेर विकास की दौड़ में कहीं पीछे छूट गया है। मुंगेर से अलग हट कर अस्तित्व में आए जमुई, लखीसराय, खगड़िया, बेगूसराय आदि जिला भी विकास की डगर पर सरपट दौड़ लगा रही है। वहीं मुंगेर जो कभी अपनी समृद्धि, वैभव, व्यवसाय, खूबसूरती और स्वर्णिम इतिहास के लिए जाना जाता था। आज कटा सा, उपेक्षित, अलग-थलग पड़ गया है। मुंगेर की महती विकास परियोजनाओं के क्रियान्वयन की सुस्त रफ्तार ने इसे पंगु बना दिया है।

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मुंगेर रेल, सड़क और जल मार्ग तीनों की व्यवस्थाओं से संपन्न है। फिर भी यह टापू बन कर रह गया है। गंगा नदी पर रेल सह सड़क पुल बन कर तैयार है। लेकिन, एप्रोच पथ का निर्माण नहीं होने के कारण सड़क यातायात बहाल नहीं हो सकी है। बरियारपुर के रेलवे ओवरब्रिज और क्षतिग्रस्त घोरघट पुल के निर्माण कार्य की शिथिलता ने मुंगेर के विकास की रफ्तार को कुंद कर दिया है। इंजीनिय¨रग कॉलेज, विश्वविद्यालय, मेडिकल कॉलेज व अन्य उच्च शिक्षण संस्थान यहां अभी तक घोषणाओं व स्वीकृति फाइल से बाहर धरातल पर नहीं आ सकी है। मुंगेर में पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं। लेकिन, पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने को लेकर रोडमैप तक तैयार नहीं किया जा सका है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार की बागडोर संभालने के बाद सूबे में विकास की नई लकीर खींची है। मुंगेर को भी बहुत कुछ मिला। इस कारण मुंगेर की उम्मीदें मुख्यमंत्री से काफी बढ़ गई है। ऐसे में आज जब सरकार मुंगेर आएं हैं, तो मुंगेर के लोगों को सरकार की विशेष नजरें इनायत की दरकाकर महसूस हो रही है।

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कब शुरू होगा गंगा पर सड़क पुल

फोटो : 17 एमयूएन 8

मुंगेर : गंगा नदी पर बने रेल सह सड़क पुल को मुंगेर के लोग सपनों का पुल कह कर बुलाते हैं। लोगों को उम्मीद है कि रेल सह सड़क पुल पर रेल और सड़क यातायात सुविधा सुचारू रूप से बहाल होने के बाद मुंगेर विकास की कुलाचें भरने लगेगा। पुल पर आ¨शक रूप से रेल परिचालन शुरू हो गया। लेकिन, पुल के एप्रोच पथ के लिए जमीन अधिग्रहण नहीं हो पाने के कारण सड़क यातायात सेवा बहाल नहीं हो सकी है। जिला भू-अर्जन पदाधिकारी के अनुसार संपर्क पथ के लिए करीब 119 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया जाना है। इसके तहत करीब तीन सौ करोड़ का मुआवजा भू-स्वामियों को दिया जाएगा। अभी जमीन के सर्वे का काम ही चल रहा है। कब तक संपर्क पथ का निर्माण पूर्ण होगा, इस बारे में कोई कुछ सटीक नहीं बता सकता।

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अधर में लटका है बरियारपुर रेलवे ओवरब्रिज

फोटो : 17 एमयूएन 7

मुंगेर : करीब एक दशक से बरियारपुर में रेलवे ओवरब्रिज का निर्माण कार्य चल रहा है। ओवरब्रिज का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाने के कारण हवेली खड़गपुर, टेटिया बम्बर, संग्रामपुर आदि प्रखंड का जिला मुख्यालय से सीधा सड़क संपर्क नहीं है। काफी दिनों तक इस पुल के निर्माण की राह में जमीन अधिग्रहण का रोड़ा अटका रहा। मुआवजे की राशि के लिए भू-स्वामी व प्रशासन में हमेशा ठनी रही। इससे निर्माण कार्य विलंब होता चला गया। संबंधित पदाधिकारी का कहना है कि अबतक 15 लोगों को मुआवजा मिल चुका है। इस ओवरब्रिज के अधूरे निर्माण के कारण मुंगेर से भागलपुर और जमुई जाने के लिए बड़े वाहनों का आवागमन ठप हो गया है। इससे जिला में व्यवसाय प्रभावित हुआ है।

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क्षतिग्रस्त घोरघट बेली ब्रिज ने काटा मुंगेर का संपर्क

फोटो : 17 एमयूएन 6

मुंगेर : एनएच 80 पर स्थित घोरघट बेलीब्रिज 2007 में क्षतिग्रस्त हुआ। आवागमन जारी रखने के लिए 2008 में बेलीब्रिज का निर्माण किया गया। 2009 में नौ करोड़ की लागत से क्षतिग्रस्त बेलीब्रिज की जगह नए पुल का निर्माण कार्य शुरू हुआ। जिसे 2011 में बन कर तैयार हो जाना था। लेकिन, यह अभी तक नहीं बन पाया। घोरघट बेलीब्रिज पर कई वर्षों से बड़े वाहनों का परिचालन बाधित है। इस कारण मुंगेर का भागलपुर, पूर्णिया, बंगाल, झारखंड आदि जगहों से होने वाला व्यवसाय ठप होकर रह गया है। माल मंगाने में व्यवसायियों को दोगुणा खर्च करना पड़ता है। इस कारण मुंगेर के बाजार में आसपास के जिलों से महंगा समान मिलता है। प्रशासन ने जमीन अधिग्रहण कर पुल निर्माण की अड़चनें दूर कर दी है। अब पुल निर्माण की गति तेज हो जाए, तो मुंगेर के विकास को नई रफ्तार मिलेगी।

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अबतक धरातल पर नहीं आ सका है इंजीनिय¨रग कॉलेज

मुंगेर। मुंगेर को शैक्षणिक रूप से मजबूत करने के लिए यहां इंजीनिय¨रग कॉलेज के निर्माण की घोषणा की गई। काफी अरसे बाद संदलपुर में इसके लिए 22 एकड़ जमीन भी चिन्हित किया गया। इसे लीज नीति के तहत अधिग्रहित करने के लिए प्रस्ताव भी भेजा गया। बावजूद इसके इस पर अबतक काम शुरू नहीं हो पाया। अब इस जगह पर जमीन के लिए भारी भरकम मुआवजा देकर कॉलेज खोलना सरकार को नागवार गुजरा, तो मुंगेर में ही पाटम के पास इसके लिए 25 एकड़ की जगह देखी गई है। जिलाधिकारी का कहना है कि संदलपुर में जहां 22 एकड़ के लिए तीन सौ करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च आ रहा था। पाटम में सिर्फ पांच करोड़ रुपये में 25 एकड़ जमीन उपलब्ध हो रही है। अब ऋषिकुंड के पास इंजीनिय¨रग कॉलेज के निर्माण को लेकर अंतिम रूप से स्थल चयन किया गया है। इस कॉलेज का निर्माण कार्य कब शुरू होगा। जिलेवासियों को बस इसका इंतजार है।


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