जांच रिपोर्ट आने के बाद भी घोटालेबाजों पर नहीं आई आंच
मुंगेर । बहुचर्चित दवा घोटाले के तार मुंगेर से भी जुड़े हुए हैं। जिला के स्वास्थ्य महकमा ने किश्तों म
मुंगेर । बहुचर्चित दवा घोटाले के तार मुंगेर से भी जुड़े हुए हैं। जिला के स्वास्थ्य महकमा ने किश्तों में एक फर्जी दवा कंपनी को सात लाख रुपये का भुगतान कर दिया। लेकिन, दवा कंपनी ने दवा उपलब्ध नहीं कराई। जब दवा कंपनी का सत्यापन कराया गया, तो यह पता चला कि उस पता पर मेसर्स कृष्णा फोविकोंस प्राइवेट लिमिटेड नाम की कोई दवा कंपनी ही नहीं है। इसको लेकर सिविल सर्जन ने तीन सदस्यीय टीम का गठन किया। तीन सदस्यीय टीम ने मामले की जांच कर अपनी रिपोर्ट सिविल सर्जन को सौंप दी। जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि दवा क्रय में शामिल संबंधित पदाधिकारी और कर्मी ने राज्य स्वास्थ्य समिति के गाइड लाइन कैश एंड कैरी का अनुपालन नहीं किया। ऐसे में सामुहिक जिम्मेवारी तय कर दोषियों पर कार्रवाई की जानी चाहिए। लेकिन, अभी तक सिविल सर्जन की ओर से किसी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। वहीं, इस मामले को लेकर सिविल सर्जन ने पांच अगस्त को कोतवाली थाना में भी प्राथमिकी दर्ज कराई गई। अभी तक पुलिस पदाधिकारी ने दोषी कर्मियों व अधिकारियों से पूछताछ तक नहीं की है।
-----------------------
क्या है मामला
सिविल सर्जन कृष्ण चंद ¨सह ने वर्ष 2009 में कार्य भार संभाला। इसके बाद सात सिविल सर्जन, तीन डीपीएम ने दवा घोटाले में जांच में रूचि नहीं ली। इस कारण से यह मामला काफी समय तक लटका रहा। जिला स्वास्थ्य समिति को दवा कंपनी के विरोध में 9 वर्ष के बाद दवा कंपनी के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई है। दवा घोटाला सुर्खियों में आया तो वर्तमान सिविल सर्जन डॉ श्रीनाथ ने जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम का गठित किया। जांच टीम ने सिविल सर्जन को रिपोर्ट सौंपी।
--------------------
बोले एसपी
पुलिस जांच कर रही है। अस्पताल से कई महत्वपूर्ण कागजात नहीं मिला है। कागजात को उपलब्ध कराने के लिए संबंधित पुलिस पदाधिकारी को आवश्यक निर्देश दिए गए हैं। एसपी ने बताया कि दवा घोटाले की जांच एसडीपीओ कर रहे हैं। दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
आशीष भारती, एसपी मुंगेर
----------------
बोल सिविल सर्जन
फर्जी दवा कंपनी के विरूद्ध थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। पुलिस दवा घोटाले की जांच कर रही है। अब पुलिस अनुसंधान कर रही हैं। ऐसे में अलग से कार्रवाई किए जाने का कोई औचित्य नहीं है। पुलिस अनुसंधान में जो भी दोषी होंगे, उन पर कार्रवाई होगी।
डॉ. श्रीनाथ सिविल सर्जन मुंगेर