Move to Jagran APP

हथियार तस्करी में उलझ रहा बचपन

सिद्धार्थ भदौरिया, मुंगेर। अच्छे-बुरे के समझ से परे बेफिक्री वाला दौर होता है बचपन। बाल मन एक कोरे क

By Edited By: Published: Thu, 26 May 2016 01:01 AM (IST)Updated: Thu, 26 May 2016 01:01 AM (IST)
हथियार तस्करी में उलझ रहा बचपन

सिद्धार्थ भदौरिया, मुंगेर। अच्छे-बुरे के समझ से परे बेफिक्री वाला दौर होता है बचपन। बाल मन एक कोरे कागज की तरह होता है। इस पर जो लिख दिया जाए वो अमिट हो जाता है। मुंगेर में मौत का सामान बेचने वाले इन कोरे कागजों पर अपराध की इबारत लिख रहे हैं। खेलने, खाने और मस्ती करने की उम्र में हथियार तस्कर इन बच्चों के हाथ में हथियार थमाकर एक जगह से दूसरे जगह भेजने के लिए कोरियर के रूप में इनका इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके पीछे कई मामलों में इन बच्चों के अभिभावकों की गरीबी, बेरोजगारी, बच्चों को पैसे की आवश्यकता और बच्चों की अपराध और हथियार तस्करी से जुड़ी पारिवारिक पृष्ठभूमि भी कारण होती है। अगर आंकड़ों पर नजर डाला जाए तो अभी किशोर न्याय परिषद में जितने मामले लंबित पड़े हैं, उसका 25 फीसद सिर्फ बच्चों के हथियार तस्करी में लिप्त होने का मामला है। मुंगेर में लंबित किशोर अपराध के मामले 500 हैं और इनमें 125 मामले सिर्फ आ‌र्म्स एक्ट के हैं। वहीं अगर पिछले दो साल के आंकड़ों पर नजर डाला जाए तो हथियार तस्करी से जुड़े कुल 32 मामले 2015 से 2016 तक में दर्ज हुए हैं।

prime article banner

जानकारों का कहना है कि गरीबी और रोजगार की कमी के कारण हथियार तस्करी से बच्चे आसानी से जुड़ जाते हैं। उन्हें इस धंधे में आसानी से ज्यादा पैसा मिल जाता है। अगर एक दो बार कोई बच्चा नहीं पकड़ा जाता है तो उसका मनोबल भी ऊंचा हो जाता है और इस गलत धंधे की चपेट में वह ¨जदगी भर के लिए उलझ जाता है। अशिक्षा भी इस समस्या के जड़ में है।

---------------

कोट

हथियार तस्कर गरीब और बेरोजगार परिवारों को टारगेट करते हैं। हथियार निर्माण के बाद इसके परिवहन में बच्चों का उपयोग इसलिए किया जाता है, क्योंकि इन पर लोगों को शक नहीं होता। ऐसे में जो बच्चे इस धंधे में आ जाते हैं उन्हें व उनके परिवार को लत लग जाती है और फिर परंपरा शुरु हो जाती है। फिर एक बार गलत काम करने पर बच्चों का भी मानसिक रूप से मनोबल बढ जाता है और यह काम आगे बढ़ता जाता है। कुछ बच्चे इस काम में गलतफहमी के शिकार होकर भी फंस जाते हैं। इस तरह से हथियार तस्करी में निर्दोष बच्चे बेवजह फंसते जा रहे हैं।

रामानुज प्रसाद ¨सह, जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी, मुंगेर

-------------

कोट

मिट रहे पुराने नैतिक मूल्यों का कुप्रभाव बच्चों पर भी पड़ रहा है। यही कारण है कि बच्चे अपराध की ओर प्रवृत हो रहे हैं। मुंगेर में आ‌र्म्स एक्ट से जुडे बाल अपराध के सबसे ज्यादा मामले आते हैं। मुंगेर में बाल अपराध के लंबित मामले में 25 प्रतिशत मामले सिर्फ आ‌र्म्स एक्ट के हैं। इसके पीछे गरीबी, बेरोजगारी और पारिवारिक पृष्ठभूमि भी कारण होता है। कई बच्चे गलतफहमी में भी हथियार तस्करी के चपेट में आ जाते हैं।

राजेश कुमार दास, सदस्य, किशोर न्याय परिषद, मुंगेर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.