तपती दोपहरी में मतदान को पहुंचे बुजुर्ग व लाचार
मुंगेर। मतदान का उत्साह किसे कहते हैं इसका अंदाजा मतदान केंद्रों पर तपती दोपहरी में कतार में खड़े बुज
मुंगेर। मतदान का उत्साह किसे कहते हैं इसका अंदाजा मतदान केंद्रों पर तपती दोपहरी में कतार में खड़े बुजुर्ग और लाचार लोगों को देखकर लगाया जा सकता है। द्वितीय चरण के मतदान में टेटिया बम्बर प्रखंड के विभिन्न मतदान केंद्रों पर जहां महिला, पुरुष, युवक और युवतियों की लंबी कतार दिखी, वहीं इन कतारों में उम्र दराज बुजुर्ग व शरीर से लाचार वैसे लोग भी शामिल थे जो चल फिर सकने में समक्ष नहीं हैं। कई बुजुर्ग जो पैदल मतदान केंद्र तक नहीं जा सकते हैं वेलोग भी मतदान करने पहुंचे। यहां तक नेत्रहीन मतदाता ने भी अपना मत डाला। ऐसे दौर में जब मतदान के दिन छुट्टी होने पर महानगरों में रहने वाले पढ़े लिखे वर्ग के लोग मतदान न कर आउ¨टग पर छुट्टी मनाने चले जाते हैं। वैसे युग में मतदान को लेकर ऐसी सुदूर ग्रामीण इलाकों में कम पढ़े लिखे व शरीर से लाचार लोगों की मतदान की प्रतिबद्धता काफी काबिले तारीफ दिखी। टेटिया बम्बर में ऐसे मतदाता वैसे दूसरे सक्षम लोगों के लिए सबक हैं जो घर में रहकर भी मतदान करने नहीं जाते हैं। इस उत्साही वातावरण और मतदान के अपने अधिकार के प्रयोग को लेकर जागरूकता से ही लोकतंत्र को मजबूती मिल रही है। लोकतंत्र में मतदान का क्या महत्व है इस बात का सबसे बेहतर उदाहरण ऐसे ही लोग हैं जो तपती दोपहरी में भी अपने स्वास्थ्य और लाचारी की परवाह किए बगैर मतदान केंद्रों तक पहुंचे और मताधिकार का प्रयोग किया।