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बकरियों ने चबा डाले 36 लाख रुपये के पौधे

मुंगेर के हवेली खडग़पुर प्रखंड के अग्रहण पंचायत के बागेश्वरी गांव में सामाजिक वानिकी योजना पर अभी तक 36 लाख की निकासी हो चुकी है। यूं कहें कि 36 लाख के पौधे मवेशियों का निवाला बन गए हैं, तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।

By Kajal KumariEdited By: Published: Fri, 12 Feb 2016 09:08 AM (IST)Updated: Fri, 12 Feb 2016 10:42 PM (IST)
बकरियों ने चबा डाले 36 लाख रुपये के पौधे

मुंगेर [प्रणत भारती]। केंद्र सरकार द्वारा ग्रामीण बेरोजगारों को अपने घर में ही रोजगार उपलब्ध कराने एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के उद्देश्य से महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना अर्थात मनरेगा की शुरुआत की गई थी।

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मुंगेर के हवेली खडग़पुर प्रखंड के अग्रहण पंचायत के बागेश्वरी गांव में सामाजिक वानिकी योजना पर अभी तक 36 लाख की निकासी हो चुकी है। यूं कहें कि 36 लाख के पौधे मवेशियों का निवाला बन गए हैं, तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।

योजना में बरती गई लापरवाही

इस योजना के तहत पौधे तो लगे लेकिन उचित देख रेख के अभाव में क्षेत्र से हरियाली धीरे-धीरे गायब होने लगी। कुछ पौधे तो सूख चुके है जो कुछ बचे है वे भी धीरे-धीरे जानवरों का निवाला बन रहे हैं। स्थानीय लोगों ने कहा कि उचित देख रेख के अभाव में अधिकांश पौधे जानवरों का निवाला बन चुके हैं।

प्राप्त जानकारी के मुताबिक जो पौधे खेत में लगे हुए हैं उसकी सुरक्षा के लिए घेराबंदी की जानी है। वहीं प्रत्येक पौधे के बगल में एक घड़ा रखना है। जिससे पौधे की देखभाल के लिए प्रतिनियुक्त वनपोषक द्वारा पौधे में पानी दिया जा सके।

क्या है योजना

इस योजना में पचास प्रतिशत फलदार पौधा तथा छाएदार पेड़ -पौधा लगाने का प्रावधान है। लेकिन योजना स्थल पर केवल छायादार पौधा ही लगाया गया है। इस कार्य के लिए वन पोषकों को 1400 रुपया प्रतिमाह की दर से साठ माह तक यह राशि दिए जाने का प्रावधान है।

पौधे में उचित पोषण के लिए पोटाश, जिंक, यूरिया जैसे खाद विभाग की ओर से उपलब्ध करवाया जाना है। लेकिन ऐसा होता कहीं नही दिख रहा है। खेतों की चारों ओर से घेराबंदी कर महज खानापूर्ति करने का प्रयास किया गया है। खेतों में लगे चापानल हाथी के दांत साबित हो रहे है। जो केवल दिखावे के लिए गाड़े गए हैं। तभी तो पानी की कमी के कारण खेतों में दरार पैदा हो चुके हैं।

योजना में हो रही बंदरबांट

इस योजना में अब तक 36 लाख की निकासी भी की जा चुकी है। लेकिन सत्यता कुछ और ही है। स्थानीय किसान पदाधिकारी को मेल में लेकर पुराने बगीचे में ही कुछ पौधे लगा दिया करते हैं तथा इस मद की राशि आपस में बांट लेते हैं।

और तो और प्रावधान के विपरीत क्षेत्र के एक शिक्षक व सेवानिवृत्त सरकारी कर्मी को वनपोषक के रूप में बहाल किया गया है। इस बाबत मनरेगा के कार्यक्रम पदाधिकारी विपिन कुमार ने मामले से अनभिज्ञता जताते हुए कहते हैं कि वे इसके बारे में कनीय अभियंता एवं सहायक अभियंता से बात करेंगे।

कहा उपविकास आयुक्त ने-

प्रत्येक पौधे में गेरेवियन व पौधे के बगल में पटवन हेतु एक घड़ा रखना है। पचास प्रतिशत फलदार व पचास प्रतिशत छायादार पौधे लगाए जाने का प्रावधान है। योजना में धांधली का मामला संज्ञान में आने के बाद मामले की जांच की जाएगी।

रामेश्वर पांडेय, उपविकास आयुक्त, मुंगेर


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