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अवैध कटाई : ऋषिकुंड जंगल का अस्तित्व खतरे में

मुंगेर। वन क्षेत्र में लकड़ियों की अवैध कटाई से ऋषिकुंड जंगल के अस्तित्व पर ही खतरे के बादल मंडराने ल

By Edited By: Published: Sun, 04 Oct 2015 04:16 PM (IST)Updated: Sun, 04 Oct 2015 04:16 PM (IST)
अवैध कटाई : ऋषिकुंड जंगल का 
अस्तित्व खतरे में

मुंगेर। वन क्षेत्र में लकड़ियों की अवैध कटाई से ऋषिकुंड जंगल के अस्तित्व पर ही खतरे के बादल मंडराने लगे हैं। जंगल से प्रतिदिन सैकडों लोग अपने और अपने परिवार का जीवन यापन के लिए लकड़ी काट कर लाते हैं। कहा जाता है कि लकड़कहाड़ा प्रतिदिन जंगल जाकर लकड़ी लाते है। प्रतिदिन जंगलों में सूखी लकड़ी मिल नही सकती है। इसलिए लकड़हाड़ा प्रतिदिन जंगलों के हरे भरे पेड़ को काटकर उसी जगह पर सूखने को छोड़ देते हैं और उस लकड़ी के सूख जाने पर उसे नीचे लाकर बाजार मे बेचते हैं। ऋषिकुंड के जंगलों की कटाई कई दशक से की जा रही है। दशकों पूर्व ऋषिकुंड जंगलों से घिरा हुआ था। उक्त स्थल तक पहुंचने में लोगों को घने जंगलों को पार कर जाना पडता था। यही कारण था कि साधु- संतो ने उक्त स्थल को अपनी साधना स्थली बनाई। आज उस जंगल में गिने चुने पेड़ ही दिखाई देते हैं। वहीं, नाम नहीं छापने की शर्त पर कई लकड़हारों ने कहा कि लकड़ी नहीं काटेंगे, तो बच्चों को दो जून की रोटी कहां से देंगे। सरकार रोजगार के वैकल्पिक उपाय करें, तो हमलोग लकड़ी काटना छोड़ सकते हैं। खैर, अगर जंगल की अवैध कटाई पर अंकुश नहीं लगाया गया, तो आने वाले दिनों में ऋषिकुंड जंगल का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगी।

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