उपेक्षा को ठेंगा दिखा सफलता की कहानी लिख रही बाला
मुंगेर। हौसले बुलंद हो, तो प्रतिकूल परिस्थिति भी रास्ता नहीं रोक पाती हैं। उक्त पंक्तियों को ईटहरी क
मुंगेर। हौसले बुलंद हो, तो प्रतिकूल परिस्थिति भी रास्ता नहीं रोक पाती हैं। उक्त पंक्तियों को ईटहरी की बेटियों ने चरितार्थ कर दिखाया है। सरकार की ओर से बिना कोई प्रोत्साहन के ईटहरी की बेटियां श्यामा रानी, खुशबू रानी सहित कई अन्य ने राष्ट्रीय व राज्य स्तर पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर हुक्मरानों को भी हैरत में डाल दिया। खेल दिवस के अवसर पर भी ईटहरी के खेल मैदान पर लक्ष्मी स्पोर्टिंग क्लब ईटहरी की महिला फुटबाल टीम की खिलाड़ी अभ्यास करती दिखी। प्रशिक्षक उमाशंकर ¨सह, मुकेश ¨सह आदि ने कहा कि महिला टीम के खिलाडि़यों में फुटबॉल के प्रति काफी उत्साह है। लड़कियां अपनी प्रतिभा के बल पर देश दुनिया में बिहार का मान बढ़ाना चाहती है। लेकिन खिलाड़ियों को जो सुविधा मिलनी चाहिए, वह नहीं मिल पाती है। ईटहरी गांव के रेलवे मैदान से निकल कर श्यामा रानी और खुशबू ने देश के लिए खेलने का गौरव प्राप्त किया। श्यामा रानी ने तो विदेशी सरजमीं पर भारतीय टीम की कप्तानी भी की। प्रत्येक दिन सुबह शाम में दर्जनों लड़कियां श्यामा और खुशबू बनने का सपना लिए मैदान पर पहुंचती हैं। लेकिन, अन्य राज्यों की तुलना में यहां खिलाड़ियों को बेहतर सुविधाएं मुहैया नहीं कराई जाती है। लक्ष्मी स्पो¨टग क्लब ईटहरी के सचिव निरंजन प्रसाद ¨सह, पूर्व खिलाडी आनंदी प्रसाद ¨सह, बिहार फुटबाल टीम की कप्तानी कर चुके सुधीर कुमार विद्यार्थी ने कहा कि मुंगेर के कई पूर्व फुटबाल खिलाड़ी आज भी तंगहाली का जीवन जी रहे हैं। राज्य सरकार खिलाड़ियों के भविष्य की सुरक्षा की गारंटी दें और उन्हें बेहतर प्रशिक्षण की सुविधाएं मुहैया कराएं, तो यहां के खिलाड़ी देश दुनियां में बिहार का नाम रौशन कर सकते हैं। लेकिन, यहां तो खिलाड़ियों को सिर्फ झूठे सपने दिखाए जाते हैं।