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आस्था के समंदर में गुम हो गई भय की बरसाती नदी

हैदर अली, मुंगेर : शनिवार और रविवार को आए भूकंप के झटकों ने मुंगेर के लोगों की चैन छीन ली। हर किसी क

By Edited By: Published: Mon, 27 Apr 2015 05:42 PM (IST)Updated: Mon, 27 Apr 2015 05:42 PM (IST)
आस्था के समंदर में गुम हो गई भय की बरसाती नदी

हैदर अली, मुंगेर : शनिवार और रविवार को आए भूकंप के झटकों ने मुंगेर के लोगों की चैन छीन ली। हर किसी के चेहरे पर खौफ दिखा रहा था। अनहोनी की आशंका से हर कोई सहमा-सहमा नजर आ रहे थे। भय की बरसाती नदियां जन मानस को अपने आगोश में समेट लेना चाह रही थी। लेकिन, जब इंसान को कोई राह नहीं दिखता है, तब वह उपर वाले की शरण में जाता है। रविवार की रात्रि भी मुंगेरी ने हाथ उठा कर उपर वाले को याद किया। जान-माल की सलामती को लेकर जब लोगों ने उपर वाले दुआ मांगनी शुरू की, तो आस्था के समंदर ने भय की बरसाती नदी को अपने में समा लिया। रविवार को रात के अंधेरे में सांप्रदायिक सौहार्द की अनूठी बयार सायं-सायं कर बह रही थी। धर्म का भेद मिट गया। मुसलमान भाई रात भर कुरान की तिलावत करते रहे। वहीं, डर को भगाने के लिए कलमा भी पढ़ रहे थे। सायबारा में मुसलमान समुदाय के लोगों ने जेनरेटर की व्यवस्था कर रखी थी। खुले मैदान में सैकड़ों की संख्या में महिलाएं एवं बच्चे बैठे हुए थे। खुले मैदान में रहने के बाद भी बच्चे व महिलाएं डरे हुए थे। सभी कुरान की तिलावत कर रहे थे। मौके पर मो. शमी आलम, मो. शेरू खान, सहच्जाद आलम, मो. सिट्टू, मो. जब्बार आदि ने कहा कि अल्लाह का करम है, अभी तक हमलोग महफूज हैं। वहीं, गुलजार पोखर मुहल्ले में रात भर शिव चर्चा होती रही। बीच-बीच में जय-जय भोले का जयघोष भय का छू मंतर कर रहा था। वहीं, लाल दरवाजा मुहल्ले में यज्ञ का आयोजन किया गया। जबकि, काली स्थान में भी यज्ञ का आयोजन किया गया। जहां काफी संख्या में मौजूद महिलाएं और युवा मंत्रोच्चारण के बीच भगवान से जान माल की रक्षा की प्रार्थना कर रहे थे। वहीं, मुर्गियाचक चौक, हामिद चौक, तोपखाना बाजार, हजरतगंज वाड़ा, कौड़ा मैदान, दिलावरपुर आदि जगहों पर लोगों ने बीच चौराहे पर नमाज अदा कर सलामती की दुआ मांगी।


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