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'कैसे होगी कविता बिटिया की शादी'

संवाद सूत्र, धरहरा (मुंगेर): भूकंप में अपना घर खो चुके अमारी गाव निवासी करूण यादव की स्थिति दयनीय हो

By Edited By: Published: Sun, 26 Apr 2015 10:19 PM (IST)Updated: Sun, 26 Apr 2015 10:19 PM (IST)
'कैसे होगी कविता बिटिया की शादी'

संवाद सूत्र, धरहरा (मुंगेर): भूकंप में अपना घर खो चुके अमारी गाव निवासी करूण यादव की स्थिति दयनीय हो गई है। शनिवार की रात्रि करूण यादव अपने परिजनों के साथ ध्वस्त घर के बाहर ही सड़क के किनारे गुजारी। पीड़ित परिवार अपने आंगन के कोने में खाना-पीना बनाया था। शनिवार को मलबे में तब्दील अपने ध्वस्त घर को देख रहे करूण यादव ने कहा कि दस वर्ष से ब्लड प्रेशर का मरीज हूं। शरीर कमजोर हो गया। फिर भी मवेशी पाल कर व खेती बारी कर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहा हूं। सोचा था इस बार किसी तरह बिटिया की शादी करूंगा। लेकिन, भूकंप मुसीबत बन कर आया। अब घर बनाएं या अपनी लाडली को डोली पर चढ़ा का विदा करें। बूढ़ी विधवा मां तारा देवी की भी आंखें नम थी। बचपन में ही करूण के माथे से ही पिता का साया हट गया था। करूण ने मेहनत मजदूरी कर मकान बनाया। दस वर्ष पहले करूण के इलाज में लगभग 35 हजार रूपये खर्च हुए थे। घर में करूण के अलावे आर्थिक उपार्जन करने वाले कोई भी सदस्य नहीं है। पत्‍‌नी सोमा देवी घर के काम काज में ही हाथ बटाती है। करूण को अब अपने चार बच्चे के भविष्य की चिंता सता रही है। हालाकि भूकंप के बाद पहुंचे डीएम अमरेंद्र कुमार सिंह के निर्देश पर पीड़ित परिवार को दो तिरपाल दिया गया। जिसमें एक तिरपाल फटा हुआ निकला। रविवार को पीड़ित परिवार अपने आंगन में धान सूखाने में तिरपाल का उपयोग नहीं कर सके। परिजनों ने कहा कि दूसरे के घर में रहेंगे तो उलाहना सुनने को मिलेगा। इसलिए जीयें या मरें, यही रहेंगे। अगर सरकार घर बनाने का खर्च देती है, तो घर बनाएगें नही तो किसी तरह जीवन गुजर बसर कर लेंगे। श्री यादव ने बताया कि बीपीएल सूची में होने के बावजूद अभी तक उनको इंदिरा आवास योजना, स्वास्थ्य बीमा जैसी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाया है।


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