केस डायरी भेजने के लिए नहीं करनी होगी दारोगा जी की हुजूरी
मुंगेर, जागरण संवाददाता : न्यायालय से जमानत के लिए केस डायरी भेजने के लिए दारोगा जी की जी हुजूरी नही
मुंगेर, जागरण संवाददाता : न्यायालय से जमानत के लिए केस डायरी भेजने के लिए दारोगा जी की जी हुजूरी नहीं करनी होगी। जमानत का आवेदन न्यायालय में आते ही कांड के आइओ को सात दिनों के अंदर केस डायरी कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करना होगा। अगर, सात दिनों के अंदर आइओ ने कोर्ट में केस डायरी जमा नहीं किया, तो उन्हें फिर से सात दिनों का समय दिया जाएगा। इसके बाद भी सात दिनों में आवेदन जमा नहीं किया, तो फिर दारोगा जी की खैर नहीं। 14 दिनों के अंदर केस डायरी नहीं मिलने पर न्यायालय जमानत आवेदन पर अपने विवेक के अनुसार फैसला करेगा। न्यायालय जमानत दे भी सकता है और जमानत निरस्त भी कर सकता है। लेकिन, केस डायरी न्यायालय में जमा नहीं करने के दोषी आइओ पर कार्रवाई करेगा। समय पर केस डायरी नहीं मिलने के कारण न्यायालय में जमानत आवेदन के लंबित मामलों की दिन प्रतिदिन बढ़ती संख्या को हाइकोर्ट ने गंभीरता से लिया है। हाइकोर्ट ने सभी जिला के जिला जज और एसपी को इस संबंध में पत्र लिख कर आवश्यक निर्देश दिए हैं। हाइकोर्ट ने कहा कि समय से कोर्ट में केस डायरी जमा नहीं होने के लिए कांड के आइओ को जिम्मेवार ठहराया जाएगा।
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बोले एसपी
हाइकोर्ट के आदेश के बाद जिला के सभी थानाध्यक्षों एवं पुलिस पदाधिकारी को समय से कोर्ट में केस डायरी जमा करने के निर्देश दिए गए हैं। वहीं, कोर्ट के निर्देश पर पीपी के चैंबर में वायरलैस सेट लगा दिया गया है। पीपी के चैंबर से ही आइओ को वायरलैस से केस डायरी जमा करने का निर्देश दिया जाता है। पहले सात दिन के बाद फिर से सात दिन का समय दिया जाता है। 15 वें दिन न्यायालय अभियुक्त को जमानत दे सकती है। वहीं, आइओ के खिलाफ कोर्ट कार्रवाई भी करती है। केस डायरी भेजने में अब लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
वरुण कुमार सिन्हा, एसपी मुंगेर