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लाचार लोगों की दुआ बटोर रहे हैं डॉ. नीतीश

फोटो - 20 एमयूएन 50 कैप्सन - हरिओम होमियो सेंटर कल्याणपुर - हाथ पांव से लाचार लोगों की नीतीश न

By Edited By: Published: Thu, 20 Nov 2014 08:14 PM (IST)Updated: Thu, 20 Nov 2014 08:14 PM (IST)
लाचार लोगों की दुआ बटोर रहे हैं डॉ. नीतीश

फोटो - 20 एमयूएन 50

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कैप्सन - हरिओम होमियो सेंटर कल्याणपुर

- हाथ पांव से लाचार लोगों की नीतीश ने बदल दी जिंदगी

- 1990 से गरीब रोगियों का कर रहे हैं निश्शुल्क उपचार

संजीव, मुंगेर जागरण संवाददाता : अधिकांश लोगों की पहचान उनकी जन्म भूमि से होती है। लेकिन, कुछेक लोग ऐसे भी होते हैं, जिनके नाम से उनके जन्म भूमि की पहचान जुड़ जाती है। ऐसे ही बिरले लोगों में से एक हैं डॉ. नीतीश चंद्र दुबे। होमियोपैथ के चिकित्सक डॉ. नीतीश चंद्र दुबे का जन्म बरियारपुर प्रखंड के कल्याणपुर गांव में हुआ। मुंगेर होमियोपैथ कॉलेज से डिग्री लेने के बाद उन्होंने बड़े शहर में प्रैक्टिस शुरु करने के बदले अपने गांव में ही हरिओम होमियो सेंटर के नाम से क्लिनिक प्रारंभ किया। थोड़े ही दिनों में अर्थोराइटिस, गठिया, साइटिका, किडनी और गोलब्लाइडर में स्टोन, चेचक, टयूमर आदि जैसी लाइलाज बीमारियों का होमियोपैथिक पद्धति से सफल इलाज करने के कारण डॉ. नीतीश की प्रसिद्ध राज्य ही नहीं देश के अलग-अलग राज्यों तक फैलने लगी। नीतीश द्वारा दिए गए नन्हीं गोलियों (होमियोपैथ की दवाओं) ने चमत्कार दिखाना शुरु किया। अर्थोराइटिस, गठिया, साइटिका जैसी बीमारियों के कारण हाथ पांव से लाचार लगभग पांच हजार लोग नीतीश की दवाईयों से बिल्कुल ठीक हो गए। अब रांची, हजारीबाग, बंगलौर और चेन्नई तक से लोग अपना इलाज कराने कल्याणपुर जैसे कस्बाई इलाके में पहुंचने लगे हैं।

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आसान नहीं रहा राह

नीतीश के लिए यह सब इतना आसान भी नहीं रहा। नीतीश ने कहा कि 1990 में मैंने जब अपने गांव कल्याणपुर में हरिओम होमियो सेंटर नाम से क्लिनिक खोला, तो लोग उपहास उड़ाते थे। देहाती भाषा में लोग मेरे क्लिनिक को 'कोड़िया धाम' और हमें 'झड़वैया' (झाड़ फूंक करने वाला) कहते थे। लेकिन, मेरे इलाज से लोग ठीक होते गए और उनकी धारणा बदलती गई। आज की तारीख में भागलपुर और बेगूसराय में भी हरिओम होमियो का सेंटर खुल गया। दिल्ली में सेंटर खोलने की योजना को अंतिम रूप दिया जा रहा है।

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होमियोपैथ को लेकर लोगों में है गलत धारणा

डॉ. नीतीश ने कहा कि होमियोपैथ को लेकर लोगों में एक भ्रांति विकसित कर दी गई है कि पहले बीमारी बढ़ेगी, इसके बाद ठीक होगा। यह गलत है। होमियोपैथ जर्मन का विज्ञान और भारत के अध्यात्म का संगम है। कई ऐसी बीमारियां हैं, जिनका होमियोपैथ में सटीक इलाज उपलब्ध है। डेंगू जैसी जानलेवा बीमारियों की दवा होमियोपैथ में उपलब्ध है। जरूरत है कि सरकार इसका उचित प्रचार प्रसार करें। मुंगेर और भागलपुर में जब बीते वर्ष डेंगू ने कहर बरपाया था, तो नीतीश ने शिविर लगा कर कई लोगों की जान बचाई।

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गरीबों की दुआ से मिलती है ताकत

गरीबों का निश्शुल्क इलाज करने वाले डॉ. नीतीश ने कहा कि जब असहाय लोग मेरी दवाओं से ठीक होने के बाद दुआएं देते हैं, तो मुझे लगता है कि मेरा जीवन सफल हो गया।


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