फिर आस्था के नाम पर मैली हो गई गंगा
- गंगा में प्रवाहित की गई सैकड़ों प्रतिमाएं - लोग सीधे गंगा में फेंकते दिखे पूजन सामग्री व कचड़ा
- गंगा में प्रवाहित की गई सैकड़ों प्रतिमाएं
- लोग सीधे गंगा में फेंकते दिखे पूजन सामग्री व कचड़ा
मुंगेर, जागरण संवाददाता : आस्था के नाम पर फिर गंगा मैली हो गई। दो तरफा मार से गंगा कराह उठी। शनिवार को अहले सुबह से गंगा घाटों पर स्नान करने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। सुदूर ग्रामीण क्षेत्र से जो भी श्रद्धालु स्नान करने पहुंचे, अपने साथ प्लास्टिक बैग में पूजन सामग्री का अवशेष गंगा में फेंक दिया। बात यही खत्म नहीं हुई। जय-जय काली के शोर के साथ गंगा पुत्रों की टोली दिन भर गंगा घाट पहुंचती रही। फिर एक-एक कर प्रतिमाओं को गंगा में विसर्जित करने का सिलसिला जारी रहा। पीछे की प्रतिमा के विसर्जन जुलूस के साथ आ रहे युवक उत्साह से नारे लगा रहे थे - गंगा जी दूर है, जाना जरूर है। सामाजिक कार्यकर्ता शिव कुमार रूंगटा ने कहा कि हद है, ऐसे में गंगा जी पास तो नहीं आएगी। बल्कि गंगा दिन प्रतिदिन हमसे दूर होती जाएगी। वहीं, गंगा घाट पर स्नान करने आए सेवानिवृत्त प्राचार्य डॉ. रामचरित्र सिंह ने कहा कि गंगा की सफाई को लेकर हर स्तर पर उदासीनता बरती जा रही है। नगर निगम प्रशासन द्वारा गंगा घाट पर कूड़ा व पूजन सामग्री के अवशेष को फेंकने के लिए जगह निर्धारित की जानी चाहिए थी। गंगा घाटों पर बैनर व होर्डिग के माध्यम से सफाई के प्रति लोगों को आगाह करने की आवश्यकता है। यदि ऐसा किया गया होता, तो निश्चित रूप से गंगा स्नान करने वाले श्रद्धालु सीधे गंगा में कचड़ा नहीं डालते। यह सीधे-सीधे प्रशासनिक चूक का परिणाम है कि आज भी बड़ी मात्रा में कचड़ा सीधे लोगों ने गंगा में प्रवाहित कर दिया। हालांकि, डिप्टी मेयर बेबी चंकी ने कहा कि गंगा घाटों पर कूड़ा एक जगह संग्रहित कराने की योजना है। इसके लिए शीघ्र ही सभी गंगा घाटों पर कूड़ेदानी का निर्माण कराया जाएगा।