दूध पीते राहुल को छोड़, कैसे बनती बुद्ध.. बोलो बुद्ध
जमालपुर (मुंगेर) संवाद सहयोगी : ठहरो बुद्ध जरा सुनो, बस एक सहज प्रश्न, तुम्हारे गृह त्यागने के पाश्चात एकागी, वितरागी.. मैं यशोधरा मैंने भी चाहा था सन्यास, किंतु दूध पीते राहुल को छोड़ कैसे बनती बुद्ध, बोलो बुद्ध। हिंदी सप्ताह पखवाड़ा पर रेल द्वारा केंद्रीय संस्थान में आयोजित कवि सम्मेलन में जब पटना की रानी श्रीवास्तव ने अपने भाव में नारी के वियोग भाव को उकेरा तो सभागार तालियों से गूंज उठा। स्वयं जमालपुर रेल कारखाना प्रबंधक अनिमेष कुमार सिन्हा ने अपनी रचना सोया सो कुछ-कुछ जागा सो कुछ-कुछ, जिसे कुछ नहीं समझते, कभी वह बन जाता सब कुछ, का पाठ किया तो लोग वाह वाह कर उठे। रेल राजभाषा विभाग द्वारा पहली पर हिंदी पखवाड़ा सप्ताह पर आयोजित कवि सम्मेलन में राष्ट्रीय कवियो ने मुक्त कंठ से अपनी रचनाओं का पाठ कर जिंदगी के कई अनछुए पहलुओं को उकेर कर श्रोता को भाव-विभोर कर दिया। बात हिंदी की हो और कोई हिंदी को लेकर न गुनगुनाये तो हिंदी भारत की बिंदी कैसे होगी, बाका से आये विकास ने हिंदी के दर्द हिंदी है का पाठ कर लोगों का आत्मज्ञान का बोध कराया। इस समागम में गोरखपुर के अष्टभुजा शुक्ला, कोलकाता के राज्यवर्द्धन, मुंबई की रीता राम, दुमका के विनय सुमन, पटना से शहंशाह आलम जमालपुर के प्रभात मिलिंद और मुंगेर के चर्चित गजलकार अनिरूद्ध सिन्हा भी अपनी रचनाओं से श्रोता को पुरी रात बाधे रखा, जिसका समापन डब्लूपीओ मदन मोहन प्रसाद के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ। इस मौके पर उप मुख्य राजभाषा अधिकारी विनय प्रसाद वर्णवाल सहित रेल के कई अधिकारी कर्मचारी मौजूद थे।