भारत की राजधानी पटना बताया
एक तरफ जहां शिक्षा विभाग व सरकार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दिए जाने के दावे पेश कर रही है। वहीं दूसरी ओर सरकार के जनप्रतिनिधि भी बिहार में बेहतर शिक्षा की बात कर रहे हैं। पर हकीकत कुछ और है।
मधुबनी। एक तरफ जहां शिक्षा विभाग व सरकार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दिए जाने के दावे पेश कर रही है। वहीं दूसरी ओर सरकार के जनप्रतिनिधि भी बिहार में बेहतर शिक्षा की बात कर रहे हैं। पर हकीकत कुछ और है। इसका जायजा लेने हम हरलाखी के मध्य विद्यालय पिपरौन में 11.45 बजे दिन में पहुंचे। सभी शिक्षक व शिक्षिकाएं अपने-अपने वर्ग में मौजूद थे। हमारी नजर बरामदे पर पड़ी जहां एक शिक्षिका कुछ बच्चों को पढ़ा रही थी। हमने शिक्षिका से पूछा कि यह कौन सी क्लास है तो कहा कि यह तीन व चार की कक्षा है। हमने कक्षा तीन की एक छात्रा से पूछा कि भारत के प्रधानमंत्री का नाम क्या है, तो छात्रा चुपचाप खड़ी रही। फिर हमने पूछा कि बिहार के मुख्यमंत्री कौन हैं, छात्रा फिर भी चुप रही। वहीं वर्ग चार का छात्र राष्ट्रपति व चार की छात्रा भी बिहार के मुख्यमंत्री का नाम नहीं बता सकी। हालांकि तीन के एक छात्र ने प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री का नाम तो बता दिया, लेकिन मधुबनी जिलाधिकारी का नाम नहीं बता सका। संवाददाता के आने का नाम सुनते ही विद्यालय में मौजूद सभी शिक्षक व शिक्षिका बच्चों को सामान्य ज्ञान की जानकारी देने लगे। वहीं वर्ग 7 में जाने पर एक छात्रा ने मुख्यमंत्री का नाम नरेंद्र मोदी व प्रधानमंत्री का नाम नीतीश कुमार बताया। दूसरी छात्रा से पूछे जाने पर उपमुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बताया जिस पर तुरंत वर्ग संचालन कर रही शिक्षिका ने कहा कि बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजप्रताप हैं। वहीं उसी वर्ग में एक छात्रा ने भारत की राजधानी पटना बताया। विद्यालय में नामांकित कुल 995 में मात्र 318 बच्चे ही उपस्थित थे। विद्यालय में कार्यरत 13 शिक्षक में 9 शिक्षक मौजूद थे। एचएम ने कहा कि बांकी छूटटी पर है। वहीं प्राथमिक विद्यालय पिपरौन कन्या का हाल कुछ हद तक ठीक ठाक था। वहां के वर्ग 4 के एक छात्र ने बिहार व भारत की राजधानी पटना बताया। अन्य छात्र ने सही सही सवालों के जवाब दिए। इन सभी पहलुओं पर गौर करने के बाद साफ तौर पर कहा जा सकता है कि हरलाखी की शिक्षा व्यवस्था कहां तक सुदृढ़ है। ऐसे में विभाग पर कई सवालिया निशान लगते दिख रहे है।
एचएम रेशा कुमारी ने बताया कि बच्चों में गणित व विज्ञान की जानकारी अधिक दी जाती है। अब तक विभाग द्वारा किताब नहीं दिए जाने पर बच्चों में सामान्य ज्ञान की जानकारी कम दे पा रहे है। खासकर विषयवार शिक्षक नहीं होने के कारण पढ़ाई पर असर पड़ता है। बच्चे संकोच के कारण जवाब सही सही नहीं दे पाए हैं। दूसरी समस्या यह है कि एमडीएम खिलाने के बाद बच्चों को विद्यालय में रोक पाना असंभव होता है। चहारदीवारी नहीं होने से विद्यालय परिसर चारागाह बन कर रह गया है। विभाग की लचर व्यवस्था से हम शिक्षक परेशान हैं।