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रोजगार मिलने से बदलेगी गंगौर गांव की तस्वीर

हरलाखी प्रखंड के गंगौर गांव आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित है। इस गांव की पहचान एक महान सिद्ध पुरुष गांगे राय से होती है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 28 May 2017 03:01 AM (IST)Updated: Sun, 28 May 2017 03:01 AM (IST)
रोजगार मिलने से बदलेगी गंगौर गांव की तस्वीर
रोजगार मिलने से बदलेगी गंगौर गांव की तस्वीर

मधुबनी। हरलाखी प्रखंड के गंगौर गांव आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित है। इस गांव की पहचान एक महान सिद्ध पुरुष गांगे राय से होती है। उन्हीं के नाम पर सदियों पहले इस गांव का नाम गंगौर रखा गया था। आज भी लोग गांगे राय डीहवाड़ पर माथा टेक कोई भी शुभ कार्य का शुभारंभ करते हैं। आज समय बदल चुका है। परिवेश बदल चुकी है। लेकिन इस गांव की सुरत अब तक नहीं बदल सकी है। इस गांव के लोग अपने आप को सदियों से उपेक्षित महसूस कर रहे हैं।

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गांव की पहचान :

गंगौर गांव की पहचान भारत-नेपाल सीमा से है। यहां के अधिकांश लोग बेरोजगार हैं। जिसके कारण लोग प्रदेश से बाहर पलायन को मजबूर है। यहां के अभिभावक अपने बच्चों को शिक्षा से जोड़ने को जागरुक है, पर शिक्षा की समुचित व्यवस्था नहीं होने से शैक्षणिक माहौल बहुत ही खराब है। बच्चों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्लस टू विद्यालय तो है, पर इसमें ना ही शिक्षक और ना ही समुचित संसाधन उपलब्ध है। अपने गांव की भविष्य बदलने के लिए ग्रामीणों ने कई बार मंत्री से लेकर पदाधिकारी तक पहल किया। बावजूद आज भी यह गांव घोर उपेक्षित है।

नहीं बदली गांव की पहचान :

देश बदला, प्रदेश बदला, पर नहीं बदल सका गंगौर गांव की तस्वीर। इस गांव में रोजगार की बात करें तो कुछ ग्रामीण आयकर विभाग, सीआरपीएफ, दारोगा, शिक्षक एवं आर्मी समेत सरकारी नौकरी में हैं। जिसका सबसे बड़ा कारण यहां के गरीबी है। शेष ग्रामीण कृषि, मजदूरी व छोटे-मोटे व्यवसाय कर अपना जीवन यापन करते हैं। हालांकि मुखिया ने मनरेगा से लोगों की मुश्किलें कम करने का प्रयास किया है। यहां के हर युवा में प्रतिभाएं छिपी है। पर इसे शायद सहेजने वाला कोई नहीं है। जिससे आज भी इस गांव के लोग मायूस व स्तब्ध है।

गंगौर एक नजर में :

गंगौर गांव पंचायत का मुख्यालय है। इसी गांव से पंचायत चुनाव की रूपरेखा तय की जाती है। इस गांव की कुल आबादी लगभग 10 हजार है। यहां न तो सही से सड़क है, ना ही मुक्कमल स्वास्थ्य सुविधा। यहां के 80 फिसदी लोग साक्षर हैं। कुल मिलाकर यूं कहा जाय कि यह गांव विकास से अब भी कोसों दूर है।

क्या है मुख्य समस्या :

इस गांव में समस्याओं का अंबार लगा है। खासकर किसानों के लिए किसी भी प्रकार की कोई सुविधा मौजूद नहीं है। ¨सचाई के लिए बो¨रग तो है, पर नहर की उड़ाही नहीं होने से परेशानी बनी हुई है। किसान प्राईवेट बो¨रग से महंगे दर पर ¨सचाई करने को विवश हैं। सड़क जर्जर है। कई वार्ड में अब तक बिजली नहीं पहुंच सकी है। शौचालय क आवश्यकता है। उच्च शिक्षा के लिए हाई स्कूल में शिक्षक की कमी है। आठ बेड वाली अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र बदहाल है। जहां इलाज क्या एक दवा तक उपलब्ध नहीं होती है। खासकर नंदलाल महावीर प्लस टू उच्च विद्यालय दो कमरा व तीन शिक्षक के सहारे 16 सौ बच्चों का भविष्य संवारा जा रहा है।

बैठक के प्रमुख मुद्दे :

दैनिक जागरण के पहल पर शिक्षक जीबछ मिश्रा के घर के पास हुई ग्रामीणों की एक बैठक में लोगों ने कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली, पानी, रोजगार, सड़क सहित अन्य मुद्दा पर चर्चा परिचर्चा की। जहां लोगों ने बेबाकी से अपनी-अपनी राय रखी। लोगों ने सबसे पहले कहा कि जब तक अधिकारियों में व्याप्त भ्रष्टाचार को दूर नहीं किया जाएगा। तब तक गांव का विकास कतई संभव नहीं है। बैठक में ग्रामीण सेवा निवृत शिक्षक रामलक्षण मिश्रा, मो. उबैद, रंजीत मिश्रा, नंद राम, रामरतन महतो, किरण कुमारी, लालकिशोर राम व कुमार राज समेत लोगों ने कहा कि गांव को विकास के मुख्य धारा से जोड़ने के लिए टूटी सड़क को बनाने, हर वार्ड में पेयजल की व्यवस्था, स्वास्थ्य सुविधा, सोलर लाईट, ¨सचाई के लिए बो¨रग व नहर की व्यवस्था के साथ-साथ बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार सृजन अहम है। खासकर बच्चों में शिक्षा के लिए हाई स्कूल में भवन व शिक्षक की नियुक्ति बेहद जरूरी है। लोगों ने यह भी कहा कि हमारे गांव की सबसे महत्वपूर्ण समस्या भारत-नेपाल सीमा पर तस्करी का कारोबार है। यहां के कारोबारी बेखौफ तरीके से शराब समेत अन्य सामानों की कारोबार करता है। जिससे कई तरह की समस्याएं उत्पन्न होती है। रही बात बिजली की तो हमारे गांव को बिजली भी सही तरीके से नहीं मिल पाती है।

क्या कहते हैं युवा :

गांव के युवा बिट्टू कुमारी मिश्रा, रंजीत कुमार, राहुल कुमार, रवि कुमार ने कहा कि हम युवा पढ़-लिख तो लिए हैं, लेकिन रोजगार के नाम पर सरकार ठेंगा दिखा रही है। आज हम युवा पढ़-लिख कर अन्य प्रदेशों में मजदूरी करने को विवश हैं। हमारा सपना है कि पहले बेरोजगार युवाओं को रोजगार मिले। हर पंचायत में कौशल प्रशिक्षण केंद्र खोला जाए। लैपटॉप व कम्प्यूटर जैसे उपकरण सरकारी स्तर पर सब्सिडी की व्यवस्था की जाए। किसानों व युवाओं के लिए विशेष पैकेज की व्यवस्था की जाए। हम युवा कुछ बेहतर करना चाहते हैं, पर सरकारी सहयोग नहीं मिल पाने के कारण मजबूर हो जाते हैं। इसलिए पंचायत स्तर पर युवाओं के लिए विशेष पैकेज होना चाहिए।

क्या कहते है वृद्ध :

सेवा निवृत भारतीय रेलवे के अधिकारी वृजकृष्ण यादव, सेवानिवृत्त शिक्षक रामपवित्र मिश्रा, रामलक्षण मिश्रा, राजदेव साह ने कहा कि गांव का विकास तब तक संभव नह ं है। जब तक शिक्षा व्यवस्था को सुधारा नहीं जा सकता है। अति उपेक्षित गांव के लिए अलग से सरकार बजट तैयार करें। किसानों के हित का हमेसा ख्याल रखा जाए। खासकर युवाओं को सही दिशा-निर्देश की आवश्यकता के साथ-साथ बेहतर रोजगार उपलब्ध कराने की रोडमैप तैयार किया जाना चाहिए।

अधूरा कार्य

गांव में कई सड़क आधा अधूरा है। हाई स्कूल में निर्माणाधीन भवन अधूरा है। जिसे अतिशीघ्र बनाए जाने की आवश्यकता है। मध्य विद्यालय के पास नामांकित बच्चों की संख्या के हिसाब से भवन नहीं है। जिसे निर्माण कराए जाने की आवश्यकता है।

क्या कहते है मुखिया

गांव व पंचायत के संपूर्ण विकास के प्रति हम प्रतिबद्ध है। लेकिन सरकार की लापरवाही कहे या पदाधिकारी की संवेदनहीनता ही कहे। जिसके वजह से पंचायत समिति की बैठकों में भी रखे गए पंचायत की समस्या या प्रस्ताव पर बिल्कुल ही अमल नहीं किया जा रहा है। जिससे पंचायत का विकास अवरुद्ध हो रहा है। वैसे किसानों के हित व युवाओं के रोजगार के प्रति हम हमेशा प्रयासरत है।

- शिवचंद्र मिश्रा, मुखिया


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