एचआइवी पॉजिटिव मरीजों में विभव ने भरी आस
यदि परिवार में कोई एचआइवी पॉजिटिव हो जाए तो शेष परिजन किनारा कर लेते हैं। यहां तक कि दाह-संस्कार में भी भाग लेने से हिचकते हैं। ऐसी तमाम भ्रांतियों को तोड़ते हुए मधुबनी का एक युवा एचआइवी पॉजिटिव लोगों से सेवा की बदौलत आत्मीय रिश्ता कायम करने में जुटा है।
मधुबनी [सुनील कुमार मिश्र]। यदि परिवार में कोई एचआइवी पॉजिटिव हो जाए तो शेष परिजन किनारा कर लेते हैं। यहां तक कि दाह-संस्कार में भी भाग लेने से हिचकते हैं। ऐसी तमाम भ्रांतियों को तोड़ते हुए मधुबनी का एक युवा एचआइवी पॉजिटिव लोगों से सेवा की बदौलत आत्मीय रिश्ता कायम करने में जुटा है। पीडि़तों में उसने उम्मीदों के फूल खिलाए हैं।
हम बात कर रहे हैं 48 वर्षीय विभव विकास की। स्नातक तक शिक्षा हासिल किए विभव का हृदय एचआइवी पॉजिटिव लोगों की उपेक्षा को देख व्यथित हो गया। विभव ने उनकी मदद करने की ठानी। उसने जुलाई 2013 में 'मिथिला केयर सपोर्ट सेंटर' की स्थापना की।
सेंटर के जरिए उसने अब तक 1700 से अधिक एचआइवी पॉजिटिव लोगों को सेवा व स्नेह का मरहम लगाया है। कोशिश होती है कि एचआइवी पीडि़तों को सम्मानपूर्वक जीवन जीने की आजादी मिले। रोजगार व आवास मिले। सरकारी दवाएं व सुविधाएं मुहैया हों।
बिहार शताब्दी एड्स पेंशन योजना के तहत 50, परवरिश योजना के तहत पीडि़त बच्चों व बालिगों के करीब दो सौ, अंत्योदय व मनरेगा में रोजगार के लिए 30 और इंदिरा आवास के लिए छह आवेदन संबंधित विभागों को दिये हैं। पेंशन योजना से प्रति पीडि़त को पंद्रह सौ रुपये प्रतिमाह देने का प्रावधान है।
हालांकि, इसका लाभ अभी पीडि़तों को नहीं मिला है। परवरिश योजना के लिए दो का चयन हुआ है। उन्हें प्रतिमाह नौ सौ रुपये नकद के अलावा खाद्यान्न दिया जाता है। दो को इंदिरा आवास का लाभ मिला है।
विभव के मुताबिक जिले में अबतक 3779 एचआइवी पॉजिटिव हैं। करीब 2500 सदर अस्पताल के एआरटी सेंटर से नियमित रूप से दवा लेते हैं। दो सौ से अधिक की मौत हो चुकी है तो कई गुमनामी की ङ्क्षजदगी जी रहे हैं। एचआइवी पॉजिटिव दवा का प्रयोग कर लंबी उम्र जी सकते हैं।
बचाव के लिए जागरूकता अभियान :
बकौल विभव, एड्स से बचाव के लिए लगातार जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। लोगों को यह समझाने में सफलता मिल रही है कि सतर्कता ही बचाव है। एचआइवी पॉजिटिव के साथ रहने या एक थाली में खाने या अन्य सामाजिक गतिविधियों में शामिल होने से कोई खतरा नहीं है। प्रयुक्त सीरिज के उपयोग, बिना कंडोम के पीडि़त स्त्री-पुरुष से शारीरिक संबंध नहीं बनाने को लेकर भी जागरूक किया है।
विभव ने जगाई उम्मीद
मेरे पति ही इस रोग के वाहक बने। छह वर्ष पूर्व उनकी मौत हो गई। दो बच्चे हैं। पहाड़ जैसी जिंदगी व बच्चों की शिक्षा-दीक्षा की माकूल व्यवस्था नहीं थी। विभव से मिलने के बाद सहायता की उम्मीद जगी है।
- एचआइवी पॉजिटिव महिला।
प्रयास सराहनीय
विभव का प्रयास सराहनीय है। जागरूकता ही बचाव है। प्रचलित भ्रांतियों के बारे में लोगों को बताकर ही हम एड्स को जड़ से खत्म करने में सफल हो सकते हैं। सदर अस्पताल में एचआइवी पॉजिटिव लोगों के लिए चिकित्सा के साथ दवा और काउंसिलिंग की व्यवस्था है।
-डॉ. ओमप्रकाश (सिविल सर्जन, मधुबनी)