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फाय¨रग, लाठी चार्ज से स्थिति हो गई विस्फोटक

भच्छी उत्तरवारी टोल में दोहरी हत्याकांड से लोगों का आक्रोश सातवें आसमान पर जा पहुंचा।

By JagranEdited By: Published: Sun, 28 May 2017 03:01 AM (IST)Updated: Sun, 28 May 2017 03:01 AM (IST)
फाय¨रग, लाठी चार्ज से स्थिति हो गई विस्फोटक
फाय¨रग, लाठी चार्ज से स्थिति हो गई विस्फोटक

मधुबनी। भच्छी उत्तरवारी टोल में दोहरी हत्याकांड से लोगों का आक्रोश सातवें आसमान पर जा पहुंचा। भोला मुखिया और उसकी पुत्री आरती देवी की हत्या के करीब तीन घंटे बाद अंधेरा छाते ही स्थिति और भयावह हो गई। आरोपित का धूंधूंकर जलते घर के बीच पुलिस फाय¨रग की गूंज से भगदड़ मच गई। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस लाठीचार्ज करते हुए कई लोगों को दौड़ा-दौड़ा कर भी पीटा। आक्रोशित लोगों ने पुलिस की एक बाइक को भी क्षतिग्रस्त कर दिया। जिससे स्थिति और भी विस्फोटक हो गई।पुलिस व पब्लिक के बीच झड़प से स्थिति अनियंत्रित हो गई थी। काफी मशक्कत के बाद पुलिस स्थिति को काबू में कर सकी।

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मालूम हो कि शहर से करीब तीन किमी की दूरी पर रहिका प्रखंड के भच्छी गांव में शनिवार की शाम करीब चार बजे भोला मुखिया और उसकी पुत्री आरती देवी की हत्या के बाद यहां का माहौल पूरी तरह तनावपूर्ण हो गया। लाठी चार्ज में भच्छी के मुखिया बबलू कुमार मंडल जख्मी हो गए। वहीं पुलिस पर की गई रोड़ाबाजी में पुलिस जवान अशोक कुमार गुप्ता भी जख्मी हो गए। इसके अलावा भी कई ग्रामीण एवं पुलिस के जवान के जख्मी होने की खबर है। पुलिस द्वारा आरोपितों को दबोचने में लेटलतीफी से लोगों का आक्रोश गहराता चला गया और विस्फोटक रुप धारण कर लिया। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए डीएम, एसपी समेत वरीय प्रशासनिक एवं पुलिस पदाधिकारियों को घटनास्थल पर जाना पड़ा। कई थानों की पुलिस अफसरों एवं सैकड़ों पुलिस जवानों को स्थिति को काबू में करने के लिए घंटों पसीना बहाना पड़ा। जब आरोपितों को पुलिस घटना के करीब साढ़े तीन घंटे बाद अपने कब्जे में लेकर घटनास्थल से चली तब जाकर स्थिति नियंत्रित हो पाई। आरोपितों को पकड़ने में पुलिस को इसलिए देर लगी कि पुलिस को आशंका थी कि आरोपित अपने घर में पिस्टल, बम आदि के साथ छुपा हो सकता है और कहीं लोगों की भीड़ या फिर पुलिस पर फाय¨रग या बमबाजी न कर दें। हालांकि कई लोगों का कहना है कि घर के अंदर छुपे आरोपित ने कई राउंड गोलियां भी चलाई। आक्रोशित लोगों का यह भी कहना था कि पुलिस आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई में अनावश्यक विलंब की जिस कारण लोगों का गुस्सा बढ़ता गया। लोगों का यह भी कहना है कि पुलिस जानबूझकर अंधेरा होने का इंतजार कर रही थी। जितनी सक्रियता अंधेरा होने पर पुलिस दिखाई अगर उतनी सक्रिया घटना स्थल पर पहुंचते ही पुलिस दिखाई होती तो स्थिति विस्फोटक नहीं होती।


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