मछुआरों के अधिकारों को हनन बर्दाश्त नहीं : सहनी
22 एवं 26 जून 2017 को दो चरणों में मत्स्यजीवी सहयोग समितियों के होने जा रहे चुनाव के लिए जारी अधिसूचना के अनुसार प्रबंधकारिणी समिति के 50 प्रतिशत पदों को अजा/अजजा, अत्यन्त पिछड़ा वर्ग तथा पिछड़ा वर्ग कोटि के लिए आरक्षित कर दिया गया है।
मधुबनी। 22 एवं 26 जून 2017 को दो चरणों में मत्स्यजीवी सहयोग समितियों के होने जा रहे चुनाव के लिए जारी अधिसूचना के अनुसार प्रबंधकारिणी समिति के 50 प्रतिशत पदों को अजा/अजजा, अत्यन्त पिछड़ा वर्ग तथा पिछड़ा वर्ग कोटि के लिए आरक्षित कर दिया गया है। मत्स्यजीवी सहयोग समितियों के पिछले चुनाव अर्थात वर्ष 2012 तक कभी भी ऐसी अधिसूचना जारी नहीं हुई और न आरक्षण के तहत चुनाव हुआ। बिहार राज्य निर्वाचन प्राधिकार द्वारा जारी अधिसूचना मत्स्यजीवी सहयोग समितियों के गठन हेतु स्थापित बाईलॉज का सरासर उल्लंघन है और मछुआरा समुदाय के आर्थिक हितों को ध्वस्त करने के मकसद से की गई साजिश है। उक्त बातें निषाद विकास संघ के मधुबनी जिलाध्यक्ष बेचू नारायण सहनी ने प्रेसवार्ता में कहीं। उन्होंने कहा कि मत्स्यजीवी सहयोग समिति जिसे बोलचाल में मछुआ सोसाइटी भी कहते हैं, शुद्ध रूप से मल्लाह जाति अर्थात मछुआरों द्वारा संचालित संस्था है जिसके स्वरूप में फेरबदल की साजिश की गई है। उन्होंने कहा कि जून में होने वाले मछुआ सोसाइटी के चुनाव में बड़ी संख्या में मछुआरों को मतदाता नहीं बनने दिया गया है। वर्ष 2012 में जो मतदाता थे उनमें से भी कइयों के नाम मतदाता सूची से मनमाने तरीके से हटा दिया गया हैं। यह सरासर अन्याय है तथा मछुआरों के लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन है। लिहाजा आंदोलन के अलावा अब कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा है। निषाद विकास संघ के प्रदेश संगठन प्रभारी रमेश कुमार सहनी ने घोषणा की कि जब तक जारी अधिसूचना को वापस नहीं लिया जाता मछुआरे चुनाव में भाग नहीं लेंगे। संघ के शंभू कुमार निषाद ने कहा कि अधिसूचना जारी होने से उत्पन्न स्थिति के सम्बन्ध में गांव-गांव जाकर मछुआरों को अवगत कराया जा रहा है।