स्कूल में रोज हादसे से आंख मिचौनी
एक तरफ सरकार प्रत्येक पंचायत में एक उच्च विद्यालय खोलने की बात करती है दूसरी तरफ जहां आजादी के समय से प्राथमिक स्तर का विद्यालय है, वहां संसाधनों की कमी एवं विभागीय अनदेखी की अपनी अलग ही सच्चाई है।
मधुबनी। एक तरफ सरकार प्रत्येक पंचायत में एक उच्च विद्यालय खोलने की बात करती है दूसरी तरफ जहां आजादी के समय से प्राथमिक स्तर का विद्यालय है, वहां संसाधनों की कमी एवं विभागीय अनदेखी की अपनी अलग ही सच्चाई है। जिसमें में से एक राजकीय प्राथमिक विद्यालय हरिपुर बक्षी टोल है जहां विभागीय अनदेखी से शिक्षक एवं बच्चे अपनी जान को जोखिम में डालकर अध्ययन- अध्यापन करने को मजबूर हैं।
क्या है हालत :
दो भवन वाले इस विद्यालय में कुल तीन ही कमरे हैं। इन कमरों की दीवालों में दरारें आ गई हैं और दीवालें कभी भी धराशाई हो सकती हैं। जर्जर दीवालों के ऊपर लटकती छत कभी भी धराशायी हो सकती है। लेकिन विभाग है कई आग्रहों-सूचानाओं के बाद भी लपरवाह रवैया अपनाए हुए है। इससे विद्यालय के करीब तीन सौ बच्चे उसी छत की नीचे बैठ कर रोज हादसे से आंख मिचौनी खेलते हुए शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। लेकिन विभाग इस ओर से एकदम आंखें मूंदे किसी गंभीर हादसे का इंतजार करते हुए दिख रहा है।
क्या कहती हैं प्रधानाध्यापिका :
राप्रावि बक्षी टोल की प्रधानाध्यापिका सुनीता कुमारी कहती हैं कि कई बार विभाग से अनुरोध किया गया लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। विद्यालय के बच्चों और शिक्षकों की जान सदैव सांसत में रहती है।