शपथ ग्रहण के पहले ही RLSP विधायक का दिल का दौरा पड़ने से निधन
हरलाखी के नवनिर्वाचित विधायक बसंत कुमार का आज सुबह करीब चार बजे पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में हृदय गति रुक जाने से निधन हो गया। कल रात 10 बजे उन्होंने सीने में दर्द की शिकायत की थी उसके बाद परिजनों ने उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया था।
मधुबनी। हरलाखी विधान सभा क्षेत्र के नवनिर्वाचित रालोसपा विधायक और जिले के मधवापुर प्रखंड अंतर्गत उतरा गांव निवासी 55 वर्षीय बसंत कुमार कुशवाहा का आज सुबह चार बजे पटना में निधन हो गया। रविवार रात करीब 10 बजे सीने में दर्द की तकलीफ के बाद उन्हें पीएमसीएच ले जाया गया जहां आज सुबह उन्होंने आखिरी सांस ली।
नवनिर्वाचित विधायक आज से शुरू होने वाले विधानसभा के नए सत्र में शिरकत करने और शपथ ग्रहण के लिए पटना आए थे।
बसंत कुशवाहा के निधन की खबर फैलते ही जिले के मधवापुर प्रखंड अंतर्गत उनके पैतृक गांव उतरा में शोक की लहर फैल गई है। लोग उनके घर के बाहर जुटने लगे हैं। वे अपने पीछे तीन पुत्रों, एक पुत्री का भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं।
विधायक का पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए पटना के पार्टी कार्यालय में रखा गया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित प्रदेश के सभी नेताओं ने विधायक के निधन पर शोक व्यक्त किया है।
बाद में उनके शरीर को उनके पैतृक स्थान मधुबनी जिले के मधवापुर प्रखंड अंतर्गत उतरा गांव ले जाया गया। वहां उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा।
विरासत में मिली थी राजनीति
बसंत कुशवाहा को राजनीति विरासत में मिली थी। उनके पिता मधुसूदन प्रसाद भाकपा नेता थे। वे इसके प्रदेश संगठन में थे। डेढ़ दशक तक इनके पिता सरपंच रहे । बसंत कुशवाहा ने ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा से अपनी राजनीति पारी की शुरुआत की थी, वे अपने छात्र जीवन काल में ही वाम छात्र संगठन एआइएसएफ से सक्रियता से जुड़े रहे थे।
भाकपा नेता और पूर्व सांसद भोगेन्द्र झा के संपर्क में आकर और उनसे प्रभावित होकर बसंत ने समाजसेवा को अपना लक्ष्य बनाया था।
1990 में इन्होंने हरलाखी विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था। हालांकि, वे जीतने में तब सफल नहीं हुए थे। वर्ष 2001 में मधवापुर प्रखंड की उतरा पंचायत के मुखिया चुने गए और लगातार तीन बार इस क्षेत्र के मुखिया के पद पर काबिज रहे।
2010 में हरलाखी विधानसभा क्षेत्र से बसपा प्रत्याशी के रूप में इन्होंने फिर अपनी किस्मत आजमायी, लेकिन इस बार भी वे सफल नहीं हुए। इस बार 2015 के विधानसभा चुनाव में रालोसपा ने इन्हें अपना उम्मीदवार बनाया और ये जीतकर मुखिया से विधायक बन गए थे। लेकिन ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था।
आज 30 नवंबर को शुरू होने वाले विधानसभा के सत्र में उन्हें विधायक के रूप में पहली बार शपथ लेना था, लेकिन इसके पहले ही अहले सुबह वे दुनिया से कूच कर गए।