अब नहीं रहेगा वरीय कर्मी का वेतन कनीय कर्मी से कम
मधुबनी । अब एक संवर्ग के किसी भी वरीय कर्मी को कनीय कर्मी से कम वेतन होने का दंश नहीं झेलना पड़ेगा।
मधुबनी । अब एक संवर्ग के किसी भी वरीय कर्मी को कनीय कर्मी से कम वेतन होने का दंश नहीं झेलना पड़ेगा। न ही ऐसे कर्मियों को कुंठा का शिकार होना पड़ेगा। वहीं दूसरी ओर किसी भी कर्मी का अवकाश स्वीकृत करने पर अवशेष अवकाश का भी उल्लेख करना होगा। इन दोनों मामलों को लेकर वित्त विभाग ने फरमान जारी कर दिया है। वित्त विभाग ने एक संवर्ग के वरीय कर्मी का वेतन कनीय कर्मी से कम वेतन होने की स्थिति में वरीय कर्मी का वेतन उत्क्रमित करने का निर्णय लिया है। इस मामले को लेकर वित्त विभाग के अपर सचिव दयानिधान पाण्डेय ने सूबे के सभी जिला पदाधिकारियों को पत्र जारी कर दिया है। इस पत्र में उल्लेख किया गया है कि विभिन्न लिपिकों व संघों द्वारा वित्त विभाग को कनीय की तुलना में वरीय का वेतन उत्क्रमण के लिए आवेदन दिया जा रहा है। जबकि संकल्प 630 दिनांक 21 जनवरी 2010 के द्वारा एक ही संवर्ग के कनीय कर्मी की तुलना में वरीय कर्मी का वेतन कनीय के वेतन प्रक्रम के हद तक स्टेपअप करने का प्रावधान किया गया है। इसके आलोक में वित्त विभागीय पत्रांक 7780 दिनांक 30 जुलाई 2013 के द्वारा ऐसे वेतन प्रक्रम को उत्क्रमित करने का प्रावधान स्पष्ट किया
गया है। वित्त विभाग ने उक्त पत्रांक के आलोक में सूबे के सभी जिला पदाधिकारियों से अनुरोध किया है कि अपने
अधीनस्थ कार्यालयों के लिपिक संवर्ग अथवा किसी संवर्ग के वरीय कर्मी का वेतन यदि कनीय कर्मी से कम है तो
कनीय के नियुक्ति तिथि से वरीय का वेतन कनीय के वेतन प्रक्रम के हद तक उत्क्रमित करने हेतु प्रस्ताव उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें। इधर उक्त मामले को लेकर जिला स्थापना उप समाहर्ता ने जिले के सभी एसडीओ, बीडीओ, सीओ, जिला लेखा पदाधिकारी, कोषागार पदाधिकारी मधुबनी व झंझारपुर को पत्र सूचनार्थ एवं आवश्यक कार्यार्थ भेज दिया है।वहीं दूसरी ओर वित्त विभाग के सचिव (संसाधन) एचआर श्रीनिवास ने सभी विभाग, विभागाध्यक्षों, आयुक्तों, जिला पदाधिकारियों, अनुमंडल पदाधिकारियों व कोषागार पदाधिकारियों को पत्र भेजकर कर्मियों के छुट्टी स्वीकृत्यादेश के संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश दिया है। इस पत्र में उल्लेख किया गया है कि राज्य सरकार के कर्मियों को बिहार सेवा संहिता के नियमों के आलोक में विभिन्न प्रकार की छुट्टी स्वीकृत की जाती है। लेकिन छुट्टी स्वीकृत्यादेश में इस बात का उल्लेख नहीं रहता है कि उन्हें स्वीकृत छुट्टी को घटाने के बाद और कितनी छुट्टी अदेय (बाकी) है। जबकि इसका उल्लेख करना आवश्यक है। इसी कारण राज्य सरकार ने निर्णय लिया है
कि कर्मियों को जब भी कोई छुट्टी स्वीकृत की जाए तो स्वीकृत्यादेश में अदेय (बाकी) छुट्टी का उल्लेख आवश्यक रूप से किया जाए।इधर डीडीसी ने उक्त मामले को लेकर जिले के सभी एसडीओ, बीडीओ, सीओ, जिला लेखा पदाधिकारी, कोषागार पदाधिकारी मधुबनी व झंझारपुर को अनुपालन सुनिश्चित करने हेतु पत्र भेज दिया है।