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यहा काली वैष्णवी रूप में हैं पूजित

कलुआही(मधुबनी),संस: प्रखंड क्षेत्र से सटी पड़ौल पंचायत के झोंझी गाव में काली पूजा समिति इस वर्ष अप

By Edited By: Published: Sat, 25 Oct 2014 07:49 PM (IST)Updated: Sat, 25 Oct 2014 07:49 PM (IST)
यहा काली वैष्णवी रूप में हैं पूजित

कलुआही(मधुबनी),संस:

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प्रखंड क्षेत्र से सटी पड़ौल पंचायत के झोंझी गाव में काली पूजा समिति इस वर्ष अपना रजत वर्ष बड़े ही धूमधाम से मना रही है।

1988 की परंपरा का ग्रामीण कर रहे तहेदिल से निर्वाह :

1988 में जब ग्रामीण अमरनाथ झा ने दुर्गा पूजा में छाती पर कलश स्थापित किया तब ग्रामीणों ने उनकी इच्छा पर गाव में काली पूजन का संकल्प लिया। फलस्वरूप अगले साल 1989 में स्वर्गीय रामबहादुर यादव के नेतृत्व में मनोज कुमार झा, भवेन्द्र झा, ललन झा, उपेन्द्र झा, रामचंद्र यादव, मुसाफिर यादव सहित ग्रामीणों ने महादेव झा के पांच कट्ठा जमीन पर काली पूजा की शुरूआत की गई। प्रथम वर्ष अमरनाथ झा इसके पुजारी बने। वर्तमान में भवेन्द झा इसके पुजारी है।

माता को चढ़ाते नारियल :

झोंझी में काली पूजा की विशेषता यह है कि यहा काली विजयी मुद्रा में वैष्णवी रूप में पूजित है। कलुआही के करमौली निवासी प्रसिद्व पं राघव झा के निर्देश पर यहा पर छाग बलि के स्थान पर नारियल फोड़ कर काली को अर्पित किया जाता है। यह प्रत्येक परिवार से निश्चत रूपेण दिया जाता है।

हर्षोल्लास का वातावरण :

प्रथम वर्ष 1989 में कलश की ही पूजा की गई थी। अगले वर्ष पहली बार 1990 में पार्थिव प्रतिमा निमार्ण कर पूजन किया गया। चार दिनी पूजनोत्सव में गाव में हर्षोल्लास रहता है।


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