निर्मली में रेल चक्का जाम
निर्मली (सुपौल), संस : भारत को आजाद हुए 67 साल बीत गए। इस क्रम देश में विकास को लेकर अनेक कार्यक्रम
निर्मली (सुपौल), संस : भारत को आजाद हुए 67 साल बीत गए। इस क्रम देश में विकास को लेकर अनेक कार्यक्रम चलाए गए। फलस्वरूप विकास भी हुआ। किंतु जो विकास होना चाहिए था वैसा नहीं हो पाया। पूज्य बापू के सपनों का भारत नहीं बन पाया। खासकर बिहार राज्य का कोसी क्षेत्र तो बिल्कुल ही पिछड़ा पड़ा हुआ है। सूबे के सुपौल, सहरसा, मधेपुरा, अररिया, किसनगंज, पूर्णिया और कटिहार जिला को कोसी नदी 1934 ई. से 1954 ई. तक विभिन्न धाराओं में बहकर टापू स्वरूप बना दिया। उक्त बातें विकास मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष उपेंद्र सिंह कुसवाहा ने निर्मली में रेल चक्का जाम कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मंगलवार को कही। कहा कि सुपौल, अररिया और किशनगंज से होकर एनएच 57 बनने से जहा आमलोगों में जहा हर्ष है। वहीं कोसी नदी के दोनों तटबंधों के बीच बसे 48 गावों में गम का सैलाब आज भी बरकरार है। कोसी नदी पर रेल महासेतु बनने के कारण महासेतु से उत्तरी भाग में जलजमाव की स्थिति उत्पन्न हो गयी। साथ ही जलजमाव के कारण ईटहरी, सनपतहा, औरही, लक्ष्ममिनिया, रहरिया, लगुनिया, थरिया, मौरा, झटुरा, सियानी, टोली, गौरीपट्टी, बलथरवा, कटैया, करहड़ी, कबियाही आदि गाव के लोग विस्थापित होकर कोसी तटबंध नहर आदि स्थानों पर गत 2010 ई. से नारकीय जीवन यापन करने को विवश है। कार्यक्रम को अमन कुमार समाजसेवी, राजकुमार सिंह, जयकात राय, कैलाश कुमार गौत, वासुदेव मेहता आदि वक्ताओं ने भी संबोधित किया। इस दौरान निर्मली-सकरी रेलखंड स्थित निर्मली रेलवे स्टेशन पर सवारी गाड़ी संख्या 5252 डाउन रुकी रही। वहीं पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के मद्देनजर मौके पर भारी संख्या में रेल पुलिस मौजूद थे। रेल चक्का जाम के दौरान मौके पर पहुंची रेल पुलिस के उच्चाधिकारी से वार्तालाप उपरात प्रदर्शनकारियों ने 19 सूत्री माग पत्र सौंपा। इसके बाद उक्त रेलमार्ग पर घटो बाद पुन: रेल परिचालन को सुचारु किया जा सका।