स्वास्थ्य संस्थानों में हड्डी रोग का इलाज नहीं
मधुबनी, संवाद सहयोगी : स्वास्थ्य संस्थानों में हड्डी रोग एवं टूट-फूट के इलाज का अभी भी पुख्ता इंतजाम नहीं है। सदर अस्पताल में फिजियोथैरेपिस्ट की बहाली भी कर ली गई है। परन्तु अनुमंडल, रेफरल अस्पतालों प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में अभी भी कार्य बाधित है। हड्डी रोग विशेषज्ञ सर्जन की कमी विभाग में है।
आउटडोर एवं भर्ती मरीजों में हड्डी की टूट-फूट, दर्द से परेशान एवं चोटिल मरीजों की संख्या क्रमश: बढ़ रही है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों एवं अनुमंडल स्तरीय अस्पतालों में हड्डी रोग से पीड़ित मरीजों को सिर्फ दर्द निवारण टिकिया एवं मरहम देकर वापस कर दिया जाता है। शरीर में जोड़ के दर्द का निवारण का स्थाई निदान की व्यवस्था अभी भी स्वास्थ्य संस्थानों में नहीं रहने की शिकायत होती रही है।
स्वास्थ्य संस्थानों में प्लास्टर आफ पेरिस, क्रैप बैन्डेज, किपसौना एवं प्लास्टर की व्यवस्था नहीं है। इसके लिए कई बार मांग समर्थन विभाग में उठता रहा परन्तु इसकी व्यवस्था अद्यतन नहीं की गई है। दूसरी ओर हल्का चोट वाले मरीजों की इलाज के लिए फिजियोथैरेपिस्ट की भी व्यवस्था स्वास्थ्य संस्थानों में नहीं रहने से मरीजों को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।
दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्रों के स्वास्थ्य संस्थानों में ज्यादातर वृक्ष से गिरने, फिसलने एवं कृषि कार्य में चोट लगने के मरीजों की संख्या ज्यादा रहती है। कमजोर वर्ग के लोगों में कमर दर्द, घुटना दर्द, गर्दन दर्द के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। कुपोषण के शिकार बच्चों में भी हड्डी के दर्द की शिकायत वाले मरीजों की संख्या अस्पतालों में पहुंचती है। परन्तु इनके इलाज की व्यवस्था यहां नहीं होती है।
क्या कहते अधिकारी
सिविल सर्जन डॉ. ओमप्रकाश ने बताया कि विभाग में अर्थोपेडिक सर्जन का अभाव है। बावजूद सभी जगह कार्य चल रहे हैं। इधर राज्य स्वास्थ्य समिति के निर्देश पर सदर अस्पताल फिजियोथैरेपिस्ट की बहाली अनुबंध पर की गई है तथा कार्य चल रहा है।